किसान की मेहनत पर मौसम की मार, चिंता बढ़ी
धूप के कारण खेतों में लगे कपास, तुवर, मक्का आदि फसलों के पौधे मुरझाने लगे हैं।
किसान की मेहनत पर मौसम की मार, चिंता बढ़ी
छिंदवाड़ा. सौसर. वर्षा काल का डेढ़ महीने का समय बीत जाने के बाद भी क्षेत्र में बारिश नहीं होने की वजह से किसानों की फसलें अब मुरझाने लगी हैं। बीते 15 दिनों से क्षेत्र में बारिश नहीं हो रही है जिस कारण उमस और कड़ी धूप के कारण खेतों में लगे कपास, तुवर, मक्का आदि फसलों के पौधे मुरझाने लगे हैं।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि सेटेलाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार आने वाले एक सप्ताह तक बारिश के कोई आसार नहीं है। ऐसे में किसानों को दोबारा बोनी करने की नौबत आ सकती है। दोबारा बोनी करने में किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ेगा। किसानों के अनुसार दोबारा बोनी करने में लगभग आधी बारिश का मौसम निकल जाने के बाद उचित जलवायु फसल को नहीं मिल पाएगा। ऐसे में पौधे की बढ़त नहीं हो पाएगी और फसल का अनुपात भी नहीं रह पाएगा।
विगत वर्ष जुलाई माह तक जितने बारिश हुई थी, उस अनुपात में अब तक आधी भी बारिश क्षेत्र में नहीं हो पाई है। यदि किसानों को दोबारा बोनी करनी पड़ी तो खाद-बीज की खरीदी करनी होगी जिससे आर्थिक भार पड़ेगा।
बारिश नही होने के कारण फसलों को खतरा बढ़ गया है, फसलें पीली पडऩे लगी है, जिससे अब किसान चिंतित है।
यदि जल्द ही बारिश नही हुई तो फसलें खराब होने लगेंगी। वैसे भी किसानों ने महंगे दामों पर बीज लेकर बोवनी की है। लंबे समय से बारिश न होने के कारण फसलों पर संकट आ गया है, खेत सूख गए है, और फसल पीली पड़ रही है। जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन है उन्होंने सिंचाई शुरू कर दी है, लेकिन जिन किसानों के पास सिंचाई साधन नहीं हैं उनकी फसलें खराब हो रही है।
दवाओं का छिडक़ाव : किसानों ने पानी खुलते ही फसलों में नींदा नाशक दवाओं का छिडकाव कर दिया था। ये दवाओं के छिडक़ाव से भी फसलें पंद्रह दिन तक प्रभावित होती हैं। यदि बारिश हो जाए तो फसल को नुकसान नहीं हो पाता है, लेकिन दवाओं के छिडकाव के बाद से बारिश नहीं होने से दिक्कतें बढ़ गई हैं। बीते दिनों हुई बारिश के वजह से अभी तक पौधे जीवित है, जो की अब वे पौधे मुरझा रहे है।