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संत ने कहा- जितनी शक्ति है उतना धर्म करो, जानें वजह

locationछिंदवाड़ाPublished: May 16, 2019 12:38:42 pm

Submitted by:

Rajendra Sharma

आदिनाथ जिनालय के संत निवास में प्रवचन

chhindwara

Sermon of jain sant

छिंदवाड़ा. जैन मुनिसंघ इस समय ग्रीष्मकालीन वाचना शिविर के लिए शहर में पधारा हुआ है। निर्यापक मुनी योगसागर, मुनि पूज्यसागर, मुनि अतुलसागर, मुनि निस्सीमसागर और मनि शाश्वतसागर का सानिध्य आदिनाथ जिनालय के संत निवास में जैन धर्मावलंबियों को मिल रहा है। उनके रोज प्रवचन चल रहे हैं।
आचार्य विद्यासागर के परम शिष्य मुनि योग सागर ने सुबह यहां प्रवचन देते हुए आचार्य समंतभद्र द्वारा रचित ग्रंथ रत्नकांड श्रावकाचार के बारे में कहा कि यह ग्रंथ रत्नों का पिटारा है जिसमें हम श्रावकों के आदर्श आचरण का वर्णन किया गया है। उन्होंने कहा कि जिन्होंने संयम तप चारित्र द्वारा कर्मों को धो दिया है। जिसके द्वारा लोग
परिणामों में निर्मलता आए, शांति आए, उसका नाम प्रभावना है, भीड़ इक_ा करने का नाम प्रभावना नहीं है।
संसार में रहते हुए भी निर्मोही निर्लिप्त रहने की बात कहते हुए मुनि ने कहा कि जितनी शक्ति है उतना धर्म करो, नहीं कर सकते तो उसकी श्रद्धा करो। भगवान का केवल ज्ञान दर्पण के समान है जिसमें तीन लोक तीन कालवर्ती समस्त पदार्थ स्पष्ट और एक साथ झलकते हैं।
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