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बारिश में सरकारी लापरवाही पड़ सकती है भारी

locationछिंदवाड़ाPublished: Jun 28, 2022 06:59:04 pm

Submitted by:

mantosh singh

जर्जर और क्षतिग्रस्त पुल-पुलिया पर आवागमन खतरे से खाली नहीं है, जल्दबाजी में जान भी जा सकती है।

बारिश में सरकारी लापरवाही पड़ सकती है भारी

बारिश में सरकारी लापरवाही पड़ सकती है भारी

मानसून में जरा सी लापरवाही जान पर भारी पड़ सकती है। शहरों में खुले पड़े नाले और शहरों में मरम्मत के अधूरे काम जानलेवा हो सकते हैं। शहरों में मानसून से पहले तक सडक़ों पर गड्ढे भी हादसों को बढ़ाते हैं। मानसून की शुरुआती बारिश में ही शहरों में ऐसे मामले सामने आने लगे हैं। यह हाल प्रदेश के लगभग सभी शहरों में एक सा है, सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में सडक़ पानी पानी हो गई तो सबसे नियोजित शहरों में शामिल छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय का हाल भी ऐसा ही रहा। यहां 2 घंटे की बारिश ने नगर निगम की व्यवस्थाओं को ध्वस्त कर दिया। तेज बारिश ने चाक-चौबंद दावों की पोल खोल दी। कई जगह यातायात अवरुद्ध हो गया। निगम प्रशासन ने मानसून से पहले ही डायवर्शन रोड का काम पूरा करने का दावा किया, लेकिन समय पर पुलिया नहीं बन सकी। लेटलतीफी अकेले छिंदवाड़ा तक ही सीमित नहीं है। प्रदेशभर में जर्जर और क्षतिग्रस्त पुल-पुलियाओं की संख्या हजारों में है।

मानसून से पहले लोक निर्माण विभाग सूची तैयार करता हैं। सुरक्षा और निगरानी के लिए कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है, लेकिन आदेश कागजों तक सीमित रहते हैं। छिंदवाड़ा में तो डायवर्सन मार्ग बहने के बाद भी न विभाग के कर्मचारी नजर आए और न पुलिसकर्मी। प्रतिवर्ष ऐसे हादसों में असमय कई जान जाती है फिर भी जिम्मेदारों की नींद नहीं खुलती। आम लोग भी जागरूकता का परिचय नहीं देते। जर्जर पुल-पुलिया से सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण इलाकों में होती है। अतिवृष्टि से यातायात बंद हो जाता है। गांव टापू में तब्दील हो जाते हैं। बीमार पडऩे पर समय से अस्पताल पहुंचने में समस्या आती है। कई बार उफनते नदी-नाले पार करने पड़ते हैं। फिर भी मानसून से पहले पुल-पुलियाओं के निर्माण की कार्ययोजना नहीं बनाई जाती। हादसे होने के बाद अफसरों की नींद टूटती है।

यदि समय रहते ध्यान दिया जाए तो आमजन को परेशानी से बचाया जा सकता है। हादसों को रोका जा सकता है। आमजन को भी जोखिम भरे स्थानों से आवागमन करने से बचना चाहिए। जल्दबाजी में जान भी जा सकती है। पुलिस और प्रशासन को निगरानी पर फोकस करना चाहिए। जर्जर पुल और पुलियाओं के दोनों किनारों पर सूचना बोर्ड लगा देना चाहिए। अतिवृष्टि की स्थिति बनने पर यातायात पूरी तरह बंद कर देना चाहिए।

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