आस्था का प्रतीक है शंकरवन धाम : सनातन काल से ही आस्था से भक्ति से प्रसाद और फल प्राप्त करने की मान्यता चली आ रही है। कुछ ऐसी ही मान्यता इस शंकरवन मेले से जुड़ी हुई है। यह मेला वर्ष 1967 में लगाना शुरू हुआ तब से आज तक हर वर्ष यह भरता है। बताया जाता है कि इस शंकरवन मेले का श्रेय जियालाल मिश्रा को जाता है। मिश्रा का जन्म 16 जनवरी 1938 को ग्राम रहपुराए जिला चित्रगुप्त यूपी में हुआ था। मिश्रा उस समय घुड़ सवारी के शौकीन थे। एक दिन घुड़सवारी करते हुए उन्हें नदी में स्वयं भू प्रकट हुआ शिवलिंग दिखा। जिसके संबंध में ग्रामवासियों से चर्चा कर उन्होंने इस शिवलिंग को मंदिर में स्थापित कर दिया। कहा जाता है कि तब से ही इस मंदिर में लोगों की आस्था बढ़ गई। उस समय से ही यह मेला हर वर्ष भरता है।
शंकरवन मेला 100 एकड़ भूमि में लगता है। छिंदवाड़ा जिले में प्रमुख और बिछुआ विकासखंड में यह धार्मिक मेला प्रथम स्थान पर लगता है। मेले में सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचते है साथ ही शिवलिंग की पूजा करते हैं। मेले के सातों दिन लगभग 50 से 70 कथाओं का वाचन होता है। साथ ही श्रद्धालु अपनी मन्नतें पूरी होने पर भंडारे का भी आयोजन कराते हैं।
पं. रामविशाल शुक्ल देगें प्रवचन
सात जनवरी से प्रतिदिन पं. रामविशाल शुक्ल द्वारा प्रतिदिन सुबह शाम को भगवान भोलेनाथ एवं राम के जीवन पर अपना प्रवचन दिए जाएंगे हैं। 14 जनवरी को मकर संक्रांति दिन दही-लही के साथ मेला का समापन होगा।
सुरक्षा व्यवस्था भी चाक चौकंद
शंकरवन का यह मेला इतना विशाल और भव्य होता है कि इसकी शोभा सात दिनों तक देखते ही बनती है। मेले की भव्यता और विशालता के चलते पुलिस व्यवस्था और स्वास्थ्य व्यवस्था भी काफी तकड़ी रहती है।