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परमात्मा से मिलने की प्रथम सीढ़ी है यह, आप भी जानें

locationछिंदवाड़ाPublished: May 14, 2019 12:07:33 pm

Submitted by:

Rajendra Sharma

श्रीमद् भागवत कथा

Shrimad Bhagwat Geeta Gyan Yagna

Shrimad Bhagwat katha

छिंदवाड़ा. परमात्मा को प्राप्त करने की पहली सीढ़ी है उससे प्रेम करना। वासना रहित प्रेम उपासना कहलाता है। चंदनगांव में वाटरशेड रोड पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा में नागेंद्र ब्रह्मचारी ने सोमवार को कथा में राधाजी की महिमा बताते हुए कहा कि प्रेम में समर्पण होता है। अपने सुख-दुख की परवाह किए बिना किया गया प्रेम परमात्मा के निकट पहुंचा देता है।
मथुरा गमन और उद्धव चरित्र की कथा बताते हुए उन्होंने कहा कि उद्धव ज्ञानी थे। वृंदावन में जाकर गोपियों के प्रेम को देखकर वे अपने ज्ञान को भूलकर प्रेम के रंग में रंग गए। गोपियों को ज्ञान देने गए थे। छह माह गोपियों के चरणों में कृष्ण को जानने की शिक्षा लेते रहे। कृष्ण एक रूप में मथुरा तो चले गए, लेकिन गोपियों के हृदय से दूर नहीं हो पाए। कृष्ण के विरह में राधा ने गोपियों को दुखी देखकर कृष्ण के विराट रूप के दर्शन कराकर उन्हें और नंद यशोदा को कण-कण में श्रीकृष्ण की अनुभूति कराई। सोमवार की कथा के दौरान कंस का वधकर भगवान द्वारकाधीश बने और फिर रुक्मिणी के साथ विवाह किया। मंगलवार को पूर्णाहुति के साथ कथा का समापन होगा।
सुदामा प्रसंग के साथ कथा का समापन

भागवत कथा को सुन कर गुन लिया जाए तो मनुष्य का जीवन ही बदल जाएगा। सुनने मात्र से प्राणी के आधे पाप नष्ट हो जाते हैं बुरे विचार, विकृतियां, अहंकार आदि का नाश होता है। खुनाझिरकलां में एक सप्ताह से चली रही श्रीमद् भागवत कथा के समापन पर यह बात पं भुवनेश कृष्ण शास्त्री ने कही।
ज्ञान यज्ञ सप्ताह के आखिरी दिन सोमवार को उन्होंने राजा परीक्षित के मोक्ष प्राप्त होने, भगवान के स्वधाम गमन की कथा सुनाई। इससे पहले उन्होंने सुदामा प्रसंग सुनाया। भागवत का सबसे भावुक प्रसंग यही है। शास्त्री जी ने कहा कि जहां मित्रता होती है वहां छोटे-बड़े, अमीर-गरीब का भेद नहीं रहता। कृष्ण तो राजा बन गए थे, लेकिन वे अपने मित्र को कभी नहीं भूले। सुदामा भी बड़े ज्ञानी थे। उन्हें मालूम था कि जो उनके प्रारब्ध में लिखा है वह उन्हें भोगना है। जैसे ही उनके बुरे दिन खत्म हुए वे भगवान के द्वार पहुंचे और भगवान ने उनकी पूरी दरिद्रता दूर की। सात दिन चली भागवत कथा में समापन के बाद मंगलवार को हवन-पूजन और महाप्रसाद का कार्यक्रम रखा गया है।
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