कथा व्यास शुक्ल ने प्रह्लाद चरित्र को सुनाते हुए कहा कि प्रह्लाद ने राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी भगवान का नाम लेना नहीं छोड़ा और उनके पिता हिरण्यकश्यप भगवान को अपना परम शत्रु मानते हैं। हिरण्यकश्यप ने पुत्र प्रह्लाद को प्रभु का जाप करने से रोका और नहीं मानने पर मारने का प्रयास किया पर वो सफल न हुआ। तब प्रह्लाद से पूछा तेरे भगवान यदि सब जगह में है तो क्या इस खम्भे में भी हैं। प्रह्लाद ने कहा इस खम्भे में भी हैं तब हिरण्यकश्यप ने खम्भे पर खड्ग का प्रहार किया तो नरसिंह भगवान प्रकट हुए और उन्होंने हिरण्यकश्यप को मार डाला और प्रह्लाद को गोदी में बैठा लिया। इसके बाद समुद्र मंथन, वामन अवतार की कथा सुनाई गई। भागवत सुनने के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंच रहे है। यहां सुंदर झांकियां का भी प्रदर्शन किया जा रहा है। मंगलवार को कृष्ण जन्म की कथा होगी। आयोजक समस्त ग्रामवासी शिकारपुर ने धर्म प्रेमी जनता से उपस्थित की अपील की।