छिंदवाड़ाPublished: Oct 25, 2018 12:16:24 pm
manohar soni
परासिया रोड का ग्रामीण इलाका परतला अब नगर निगम के वार्ड नं.48 का हिस्सा है।
बिजली चली जाए तो 9 किमी का फेरा
छिंदवाड़ा..परासिया रोड का ग्रामीण इलाका परतला अब नगर निगम के वार्ड नं.48 का हिस्सा है। गुलमोहर कॉलोनी पहुंचने पर दिखाई दिया अस्थायी बिजली कनेक्शन का जाल। एक पोल में तो कम से कम 25 अस्थायी कनेक्शन के तार दूर-दूर तक लटके नजर आ रहे हैं।
इस अस्थायी कनेक्शन पाने वाले संजय नामदेव ने बताया कि इस इलाके में मकान तो बन गए पर बिजली बिल दो से तीन हजार रुपए देने पड़ते हैं। इसका कोई इलाज नहीं। विद्युत मण्डल के पास जाओ तो हर पोल के 50 हजार रुपए जमा करने के नियम बता दिए जाते हैं। रहना तो यह मजबूरी है। एक समस्या यह है कि इस कॉलोनी में तीन पोल चंदनगांव विद्युत वितरण केन्द्र के हैं तो ज्यादातर पोल 9 किमी दूर कुण्डालीकलां विद्युत वितरण केन्द्र के हैं। कुछ स्थान पर बिजली गुरैया से दी गई है। फिर बिजली बिल हो या फिर मीटर खराबी,लाइट चली जाए या फिर वोल्टेज कम हो तो कुण्डालीकलां और चंदनगांव में शिकायत करनी पड़ती है। इस परतला में रोड पर किराना दुकान चलानेवाले संदीप राउत की दुकान का बिजली बिल चंदनगांव से आता है तो पीछे कॉलोनी के घर का बिल कुण्डालीकलां से। कोई शिकायत बन जाए तो अलग-अलग फोन लगाने पड़ते हैं। इस इलाके में रहनेवाले 50 से सौ मकानों में विधानसभा चुनाव का मुद्दा पूछो तो यहीं अस्थायी कनेक्शन,बिजली वितरण कम्पनी का दोहराव लोग गिना देते हैं। परतला की महिला के गु्रप में शामिल सुभद्रा यादव, नीतू चौधरी, अर्चना चौहान, फ रजाना खान,अरुणा वर्मा,प्रिया रजक, गिरिजा रजक, जामवंती डेहरिया, शशि चौहान और दर्शना महाले नजर आई तो उन्होंने बिजली के साथ सीमेंट सडक़,खेल मैदान समेत अन्य समस्याएं गिना दी। जिन्हें वे चुनाव मुद्दा मानती है।
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युवा,व्यवसायी और आम नागरिक बोले
शहर में इस समय पेयजल संकट विकराल रूप धारण कर रहा है। इसे देखते हुए पहली बार जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है। जल्द ही माचागोरा बांध का पानी लाया जाए।
-सचिन राउत व्यवसायी
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अस्थायी बिजली कनेक्शन को सरल तरीके से देने के नियम बनाए जाए। परतला में बनाए गए मकानों में मुख्य रूप से समस्या है। इसके चलते कहीं वोल्टेज तो कहीं लाइन ट्रिपिंग की समस्या आ रही है।
-संजय नामदेव आम नागरिक
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नगर निगम से जुड़े 24 गांवों में कहीं पेयजल,बिजली,सडक़ की समस्याएं है तो कहीं उद्योगों के अभाव के चलते बेरोजगारी मुंह बाए खड़ी है। राजनीतिक दल इन पर अपनी स्पष्ट राय जनता के सामने रखें।
-शक्ति सिंह अधिवक्ता
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