Social change: बदल रहा समाज, बेटी ने मुखाग्नि देकर किया अंतिम संस्कार
सभी की आंखें नम हो गई।

छिंदवाड़ा. बीते कुछ वर्षों से समाज में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। जिन बेटियों को मोक्षधाम तक जाने की भी इजाजत समाज नहीं देता था वहीं अब पिता के अंतिम संस्कार का न सिर्फ हक दे रहा है बल्कि बेटियों के पहल की सराहना भी कर रहा है। मंगलवार को मोक्षधाम में एक बेटी द्वारा पिता को मुखाग्नि देते देख सभी की आंखें नम हो गई। जिस पिता के कंधे पर बेटी खेलकर बड़ी हुई थी। मंगलवार को उसी पिता की चिता को उसने मुखाग्नि दी। उसने बेटे का फर्ज निभाया। आमतौर पर पुरुष प्रधान समाज में बेटा ही अर्थी को कंधा देता है, लेकिन इस परंपरा को तोड़ते हुए नरसिंहपुर रोड स्थित गणेश कॉलोनी निवासी 20 वर्षीय साक्षी पाण्डेय ने पिता अनूप पाण्डेय के अंतिम क्रिया कर्म के सभी संस्कार पूरे किए। पेशे से वकील अनूप पाण्डेय लगभग 11 साल पहले सडक़ हादसे में गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे तब से ही वे बेड पर थे और उनका इलाज चल रहा था। पत्नी नीता पाण्डेय नरसिंहपुर रोड स्थित एक निजी स्कूल में शिक्षिका के तौर पर कार्य करते हुए परिवार का भरन पोषण कर रही थी। अनूप एवं नीता की दो बेटी 20 वर्षीय साक्षी और 17 वर्षीय सौम्या हैं। मंगलवार को लंबी बीमारी से संघर्ष करते हुए अनुप पाण्डेय जिंदगी से जंग हार गए। बड़ी बेटी साक्षी ने पिता को मुखाग्नि देने का निर्णय लिया और अंतिम क्रिया कर्म के सभी संस्कार पूरे किए।
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