पत्रिका ने ऐसी ही कुछ समस्याओं और चुनौतियों के बारे में डॉक्टर और स्टाफ से चर्चा की। मामले में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. कंचन दुबे ने बताया कि कोरोना संक्रमण काफी घातक है, जिससे सुरक्षा के लिए सभी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीइ) का उपयोग करते है। डॉ. दुबे ने बताया कि अस्पताल पहुंचने वाला मरीज किस संक्रमण से प्रभावित है, कई बार पता नहीं चल पाता है।
लेकिन कोविड-19 का संक्रमित या संदिग्ध मरीज सामने आने पर मरीज के उपचार के लिए पृथक व्यवस्था बनाई जाती है तथा डिलेवरी मेडिकल कॉलेज में करना होगा। गर्भावस्था के दौरान सामान्य स्थिति में भी मरीज या शिशु के संक्रमित होने की आशंका रहती है, जिसके लिए लोगों को उचित सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है तथा बार-बार हाथ धोने, सोशल डिस्टेसिंग रखने, किसी के सम्पर्क में नहीं आने आदि की सलाह दी जाती है। लेकिन कोई समझता नहीं है, इसलिए ऐसे लोगों के लिए सामाजिक संस्थाएं या शासन को काउंसलिंग कर समझाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
शिशु के संदर्भ में नहीं कोई पुष्टि – गर्भ में पल रहे शिशु को किसी तरह का वायरस संक्रमित नहीं करता है तथा इस संदर्भ में अब तक कोई पुष्टि नहीं हुई है और न ही प्रसव के बाद शिशु को मां से दूर रखने के कोई निर्देश है। हालांकि संक्रमित महिला को मॉस्क लगाना तथा हाथों को साफ रखना अनिवार्य होता है।
परिजन का समझाना बड़ी चुनौति – गायनिक विभाग सामाजिकता से जुड़ा होता है, जहां से लोगों को अपने परिवार का नया सदस्य मिलता है। इस वजह से उन्हें विभाग में आने से रोका नहीं जा सकता है। इसके अलावा ऑपरेशन थिएटर में सोशल डिस्टेसिंग बनाना मुश्किल होता है। हालांकि पीपीइ के तहत ऑपरेशन किए जाते है।