जैन मंदिर गुलाबरा में सोमवार को विमर्श सागर महाराज ने धर्म सभा में आत्म कल्याणकारी मार्ग प्रदान किया। दो प्रकार से पवित्र मार्ग की व्याख्या की। कहा कि एक मार्ग ध्यान का है और दूसरा भक्ति का। हालांकि दोनों पृथक-पृथक मार्ग नहीं हैं बल्कि भक्ति मार्ग से ध्यान मार्ग तक पहुंचा जाता है। ध्यान मार्ग से सिद्धालय प्राप्त होता है। ध्यान करने से पूर्व उस ध्येय का ज्ञान अवश्य होना चाहिए जिसका आप ध्यान करना चाहते हैं। विमर्श सागर महाराज ने कहा कि जैन दर्शन में सिर्फ दो ही ध्येय स्वीकार किए गए हैं। एक बचपरमेष्ठी एवं दूसरा निज आत्मा। अनादिकाल से यह जीवात्मा संसार में परिभ्रमण करता हुआ इन दो प्रकारों के ध्येयों को अपने ध्यान का विषय नहीं बना पाया एवं सांसारिक निमितों से आर्ट रौद्र ध्यान करके संसार को ही बढ़ाता रहा। उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी जीव ध्यान को प्राप्त हैं, लेकिन किसी का ध्यान संसार का सृजन करता है और किसी का ध्यान संसार का नाश कर डालता है। गुलाबरा जैन मंदिर में प्रतिदिन सुबह 8.45 बजे से प्रवचन हो रहे हैं। 26 जुलाई को गुरुपूर्णिमा एवं 29 जुलाई को मंगल चातुर्मास कलश स्थापना का कार्यक्रम आयोजित होगा।