जैविक के लिए प्रेरित जिले में फिलहाल पांच हजार एकड़ में जैविक खेती के लिए किसानों को प्रेरित किया गया है। जिले में विभिन्न क्लस्टर बनाकर यह काम किया जा रहा है। जैविक उत्पादों की मांग को देखते हुए किसानों को इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि उन्हें उनकी उपज का दोगुना से ज्यादा मूल्य मिले। खरीफ में बोई जाने वाली अन्य फसलों को जिले में किस तरह लिया जाए और वातावरण के हिसाब से उनका उत्पादन कैसा किया जाए इस पर भी ध्यान दिया जाएगा।
कम अवधि वाली फसलों पर जोर कृषि विभाग अधिकारियों की मानें तो कम समय में ली जाने वाली मक्का लगाने पर जोर दिया जाएगा। जहां हल्की जमीन है वहां 90 दिन में आने वाली इस फसल को बोने को कहा जा रहा है। कम अवधि वाले बीजों के साथ अलग-अलग वेरायटी वाले बीजों को बोने किसानों से कहा जा रहा है। इसका यह उद्देश्य है कि वेरायटी के कारण अगर किसी बीज का उत्पादन कम होता है या फिर उसमें कीट लगते हैं तो एक साथ फसल को प्रभावित होने से बचाया जा सके। इसी तरह रासायनिक खादों का भी उपयोग अलग-अलग करने कहा जा रहा है। किसान एक ही तरह की यूरिया का छिडक़ाव भारी मात्रा में करते हैं। जरूरत के हिसाब से अलग-अलग दवाओं का छिडक़ाव जमीन और फसल को फायदा पहुंचा सकता है।
जिला स्तर पर भी बैठक ली जाएगी खरीफ सीजन को लेकर जल्द जिलास्तर पर भी बैठक ली जाएगी। इसमें मुख्य फसल मक्का के साथ और दूसरी जरूरी फसलों को लेकर विस्तार से चर्चा का पूरा कार्यक्रम तय किया जाएगा। किसान किस तरह नए तरीके से खेती कर उससे लाभ कमाएं इस पर उनका ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
जेआर हेडाऊ , उपसंचालक, कृषि विभाग छिंदवाड़ा
जेआर हेडाऊ , उपसंचालक, कृषि विभाग छिंदवाड़ा