छिंदवाड़ा। बादलभोई आदिवासी संग्रहालय के नए भवन में जैसे ही पर्यटक प्रवेश करेंगे, दूर से ही उन्हें चार सौ साल पुराने गोंडवाना साम्राज्य की निशानी देवगढ़ के किले का दीदार झांकी के जरिए होगा।
02. इस संग्रहालय में आदिवासी जनजाति बैगा, गोंड, भारिया समेत अन्य जन जातियों की जीवन शैली एवं सांस्कृतिक धरोहर, प्रतीक चिह्नों, और विविध कला शिल्पों का प्रदर्शन किया गया है।
स्थापना के 71 साल बाद सरकार ने इस संग्रहालय की सुधि ली है। नए भवन में आदिवासी कलाकृतियों और संस्कृति को दीवार पर उकेरा जाने लगा है।
आगामी नौ अगस्त को इस भवन का जब शुभारंभ किया जाएगा तो इस सौगात पर जिला गर्व करेगा। अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस 18 मई को राज्य की इस धरोहर को हर जिलेवासियों को याद करना होगा
इस संग्रहालय की स्थापना 20 अप्रेल 1954 को हुई थी। आठ सितम्बर 1997 को इस संग्रहालय का नाम परिवर्तित कर बादल भोई राज्य आदिवासी संग्रहालय कर दिया गया।
बादल भोई आदिवासी संग्रहालय के नए भवन में वनवासियों के चेहरो के मुखोटों के साथ दीवार पर जनजीवन आधारित चित्रकारी की जा रही है। संग्रहालय परिसर में लोहे के घुड़सवारों को स्थापित करने की योजना बनाई गई है।