मुख्य गेट पर जलभराव, मैदान में मवेशी
खेल मैदान का मुख्य गेट बन चुका है वहीं कुछ दूर तक बाउंड्रीवॉल भी बनाई जा चुकी है। हालांकि मुख्य गेट पर हल्की सी बारिश में भी जलभराव हो जाता है। अधूरा बने खेल मैदान में मवेशियों का डेरा रहता है।
80 लाख रुपए लागत से होना था तैयार
मैदान के मुख्य गेट के पास एक शिलापट्ट लगाया गया है। जिसमें खेल मैदान बनाने के लिए कार्य करने वाली एजेंसी, लागत सहित अन्य जानकारी है। इस शिलापट्ट के अनुसार खेल मैदान का कार्य 80 लाख रुपए की लागत से किया जाना था। निर्माण एजेंसी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक टू है।
खेल मैदान बनाने वाले जिम्मेदारों का कहना है कि हमने शासन को18 लाख रुपए का रिवाइज इस्टीमेट भेजा है। हैरानी की बात यह है कि अब तक मैदान को बनाने में लगभग 62 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसके बावजूद भी मैदान अपने अस्तित्व में नहीं आ पाया।
बजट नहीं मिला शासन से 18 लाख रुपए बजट की डिमांड की गई है जो अभी मिला नहीं है। बजट मिलने के बाद शेष कार्य पूरे हो जाएंगे।
सोहन वाल्मिकी, विधायक, परासिया पंचायत के पास खेल मैदान को लेकर कोई जानकारी नहीं है। हां यह जरूर है कि खिलाड़ी आए दिन हमसे खेल मैदान के बारे में पूछते रहते हैं। हमने अपनी तरफ से विधायक से खेल मैदान के कार्य पूरा करने का निवेदन किया था। उन्होंने आश्वासन दिया है कि जल्द ही कार्य पूरा कराए जाएंगे।
रेखा पवार, सरपंच, छाबड़ीकला
सही तरीके से नहीं हुआ था। निर्माण
ग्राम पंचायत के माध्यम से ही ग्रामीण खेल मैदान का निर्माण हुआ है। शासन ने फंड सीधे उन्हीं को भेजा गया। हमें ऊपर से ही आदेश थे कि खेल मैदान को हैंडओवर मत लिजिएगा। इसके पीछे वजह थी कि मैदान मापदंडों के अनुसार नहीं बनाए जा रहे थे।
सुनीता यादव, खेल अधिकारी, खेल एवं युवा कल्याण विभाग, छिंदवाड़ा