छिंदवाड़ा

स्वाइन फ्लू से रहें सतर्क, बचाव के लिए करें यह उपाय

प्रदेश में लगातार स्वाइन फ्लू और डेंगू के मामले में स्वास्थ्य संचालनालय ने गम्भीरता दिखाई है।

छिंदवाड़ाAug 22, 2017 / 12:51 pm

dinesh sahu

chhindwara

छिंदवाड़ा. प्रदेश में लगातार स्वाइन फ्लू और डेंगू के मामले में स्वास्थ्य संचालनालय ने गम्भीरता दिखाई है। इसके चलते सोमवार को विभाग ने स्वाइन फ्लू रोग नियंत्रण, पहचान, बचाव, मरीज के रख-रखाव आदि के संदर्भ में गाइडलाइन जारी की है। इसमें बताया गया है कि ३७.८ डिग्री सेंटीग्रेट या इससे अधिक मरीज को बुखार आना, कफ, गले में तकलीफ आदि लक्षण स्वाइन फ्लू के हो सकते है। इसके अलावा संदिग्ध मरीज के ब्लड की उचित जांच कराना, उपचार करना तथा पीडि़तों को विशेष वार्ड में रखना आदि शामिल है।
 

गौरतलब है कि जिले में स्वाइन फ्लू, डेंगू तथा मलेरिया के पॉजिटिव मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इसके साथ ही जुन्नारदेव में एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है। इस संदर्भ में स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट है तथा सम्बंधित क्षेत्रों में जाकर सर्वे भी किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार प्रदेश में विगत दो महीने में करीब ८० से ९० संदिग्ध मरीजों के सेम्पलों की जांच हो चुकी है। इसमें से २० से २२ मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव बताई गई है। वहीं १४ जिलों में डेंगू के ४५ तथा चिकनगुनिया के छह मरीज पाए गए हैं।
 

स्वाइन फ्लू से बचने रहें सतर्क


सर्दी, जुकाम, बुखार, गला खराब, खांसी, तेज सिरदर्द, श्वास लेने में दिक्कत, गम्भीर निमोनिया आदि लक्षण दिखने पर शीघ्र ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इसके साथ ही डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह के अनुसार दवा लेते रहना चाहिए। इसके अलावा अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

खुले में फेंके जा रहे टीबी स्पूटम की जांच

जिला अस्पताल की ट्रामा यूनिट के पीछे खुले में फेंके जा रहे टीबी रोग के बलगम सेम्पलो की डिब्बियों की जांच सोमवार को आरएमओ डॉ. सुशील दुबे ने की तथा जांच के बाद उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके साथ ही डॉ. दुबे ने ओपीडी कक्ष क्रमांक २२ में स्पूटम रखे जाने का भी जायजा लिया। गौरतलब है कि ट्रामा यूनिट के पीछे टीबी रोग की जांच के लिए जिन डिब्बी में सेम्पल लिए जाते हैं। उन्हें नियमानुसार नष्ट करने की जगह खुले में फेंका जा रहा था। जिसके कारण टीबी के घातक संक्रमण हवा के माध्यम से सामान्य लोगों के भी बीमार होने का भय बना हुआ था।
 

विभाग की इस लापरवाही को पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित कर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया था। मामले की गम्भीरता को देखते हुए प्रबंधन ने कार्रवाई की है। आरएमओ डॉ. दुबे ने बताया कि टीबी रोग के संक्रमण हवा में २४ घंटे से ज्यादा जीवित नहीं रहते हैं तथा सेम्पल के उपयोग में लाई जाने वाली डिब्बियों को फिनायल में डूबोकर रखा जाता है। इसलिए संक्रमण फैलने की आशंका कम रहती है। हालांकि एेसी सामग्रियों को खुले में
फेंकने की जगह नियमानुसार नष्ट करना चाहिए।

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