कवायद: 30 सितम्बर 2018 तक बीआरसी स्तर पर हो रहा परीक्षण, विद्यार्थियों के स्कूल छोडऩे की वजह जुटा रहा विभाग
जिला शिक्षा केंद्र छिंदवाड़ा के अनुसार छात्र-छात्राओं के स्कूल छोडऩे की वजह में घर की जिम्मेदारी, छोटे भाई-बहनों की देखरेख, मजदूरी आदि बातें सामने आई हंै। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 14 साल तक के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराना है। इसके लिए राज्य शासन द्वारा बच्चों को निशुल्क यूनिफॉर्म, पाठ्यपुस्तक, मध्याह्न भोजन आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके बाद भी बच्चों की रुचि कम हो रही है।
जिला शिक्षा केंद्र छिंदवाड़ा के अनुसार छात्र-छात्राओं के स्कूल छोडऩे की वजह में घर की जिम्मेदारी, छोटे भाई-बहनों की देखरेख, मजदूरी आदि बातें सामने आई हंै। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 14 साल तक के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराना है। इसके लिए राज्य शासन द्वारा बच्चों को निशुल्क यूनिफॉर्म, पाठ्यपुस्तक, मध्याह्न भोजन आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके बाद भी बच्चों की रुचि कम हो रही है।
600 से अधिक बच्चों ने छोड़ा था स्कूल
जिले में संचालित शासकीय तथा अशासकीय स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं कई असुविधाओं के चलते नियमित स्कूल नहीं आ पाते है। जिला शिक्षा केंद्र छिंदवाड़ा के अनुसार विगत वर्ष 639 विद्यार्थियों ने स्कूल छोड़ दिया था। पिछले वर्ष शासकीय एवं अशासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में दो लाख 95 हजार 214 विद्यार्थियों की संख्या दर्ज थी। जो इस बार घट कर दो लाख 65हजार 434 रह गई। इसमें गतवर्ष एक लाख 98 हजार 871 शासकीय स्कूलों के ही छात्र-छात्राएं शामिल हैं।
तय अवधि के बाद पता चलेगी स्थिति
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 14 साल तक के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराना है। शासन के निर्देश पर 30 सितम्बर 2018 तक कक्षा एक से आठवीं तक मैपिंग कार्य किया जा रहा है। फिलहाल एक लाख ८० हजार ७८६ विद्यार्थियों की मैपिंग हो चुकी है। तय अवधि के बाद वास्तविक स्थिति सामने आ सकती है।
एमपी चौरिया, एपीसी, जिला शिक्षा केंद्र छिंदवाड़ा