माशिमं के नियमानुसार वार्षिक परीक्षा का मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों को कम से कम लगातार तीन वर्ष का अनुभव होना चाहिए। साथ ही वर्तमान शाला की समय सारिणी में संबंधित विषय पढ़ाया जाना उल्लेखित होना अनिवार्य है। प्रशासनिक और विभागीय अधिकारियों की उचित मॉनिटरिंग नहीं होने की वजह से उक्त स्थिति बनी हुई है। बताया जाता है कि सूक्षमता से परीक्षण किया जाए तो ऐसे कई शिक्षक मिल जाएंगे जो शाला में संबंधित विषय पढ़ाते नहीं, इसके बावजूद बोर्ड परीक्षा में उत्तर-पुस्तिका का मूल्यांकन करने के लिए ड्यूटी लगाई जा रही है।
गैर शैक्षणिक स्टाफ भी कर रहा ड्यूटी – वार्षिक मूल्यांकन कार्यक्रम में गैर शैक्षणिक स्टाफ की भी ड्यूटी लगाई जा रही है। इसमें उद्योग शिक्षक, पीटीआइ, विज्ञान प्रयोगशाला सहायक आदि शामिल है। उक्त सभी पदों को गैर शैक्षणिक पद माना गया है, इसके बाद भी इन्हें आदेश जारी किए गए है।
भत्ता का लालच भी एक वजह – विभागीय जानकारी के अनुसार जो शिक्षक अपनी संस्थाओं में हिन्दी, अंग्रेजी, सामाजिक अध्ययन एवं विज्ञान जैसे विषयों का अध्यापन कार्य नहीं करा रहे है, वे भी 12 रुपए प्रति कॉपी तथा 250 रुपए प्रतिदिन भत्ता पाने के लालच में कॉपी जांच रहे है।
लापरवाही की होगी जांच – नियमों को ताक पर रखकर मूल्यांकन कार्य नहीं कराया जा सकता है, यदि ऐसा हो रहा है तो इसकी जांच कराई जाएगी तथा दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। साथ ही मूल्यांकन कार्य अधिकारी से इस संबंध में पूछताछ की जाएगी।
– राजेश तिवारी, उपसंचालक शिक्षा विभाग