60 प्रतिशत से अधिक हैं महिला सफाई कामगार
निगम स्वास्थ्य विभाग के घनश्याम सरेठा ने बताया कि कुल सफाई कामगारों में से 60 प्रतिशत से अधिक महिला सफाई कामगार कार्यरत हैं। 850 में से करीब 500 महिला कर्मचारी शहर की सफाई कर रही हैं। इनमें से ज्यादातर कर्मचारियों को छह हजार से 11 हजार रुपए मासिक वेतन दिया जाता है। बरखा, श्वेता, नीतू, रेखाबाई, सुनीता, संजूबाई, सीमा, शारदा, श्यामाबाई सहित पांच सौ से अधिक ऐसी महिलाएं हैंं जिन्होंने घर व काम के बीच सामंजस्य बैठाकर स्वच्छता के संग्राम में अपनी भूमिका तय कर दी है। सफाई कामगार संघ के प्रकाश मेहरोलिया, नीरज गोदरे का कहना है कि महिलाओं को अन्य कर्मचारियों के हक के लिए उनका संघ हमेशा से ही प्रयासरत है।
काम करने का तरीका बन गया यादगार
- श्यामाबाई : मोहननगर रहवासी श्यामाबाई बुजुर्ग पति के लिए नाश्ते की व्यवस्था कर सुबह पांच बजे ही अनगढ़ हनुमान मंदिर पहुंच जाती हैं और इएलसी चौक तक 10 बजे तक सफाई करती हैं।
- शारदाबाई : पति बेरोजगार, सास लकवाग्रस्त, बच्ची की कॉलेज की पढ़ाई सहित घर के खर्च चलाने का दायित्व इन पर है। ...लेकिन शहर की सफाई का तय समय कभी नहीं बदलता। दोनों समय सफाई करती हैं।
- सीमा : पति की मौत के बाद घर चलाना, खाना बनाना, बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी निभाते हुए शिवनगर निवासी सीमा कहीं से भी अपनी ड्यूटी से नहीं हटतीं।
- संजूबाई : पति तामिया में ड्यूटी करते हैं। खुद वाल्मीक गुरुद्वारे के पास रहते हुए अपने पुत्र को कुछ बनाने की धुन में संजू बाई अपनी ड्यूटी के समय में शहर की स्वच्छता का ख्याल भी घर जैसा ही रखती हैं।
- सुनीता : पति के निधन के बाद सांवलेबाड़ी में रह रहीं हैं। दो छोटी-छोटी बेटियों को पालने पोसने की जिम्मेदारी है। सफाई कामगार की नौकरी करके जीवन-यापन चल रहा है। काम में हमेशा ईमानदारी बरतती हैं।
इनका कहना है
सरकार की मंशा के अनुसार छिंदवाड़ा नगर निगम ने महिलाओं को काम दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। इस पर महिला सफाई कामगारों ने अपने कर्तव्य का भी ईमानदारी से निर्वहन किया है। उनके कार्य को देखते हुए प्रमुखता से संघ के माध्यम से नियमितीकरण की मांग करते हैं।
जगदीश गोदरे प्रदेश संगठन मंत्री अखिल भारतीय सफाई मजदूर कांगे्रस