scriptचांदी शांति और बर्तन भगवान धनवंतरी की कृपा के हैं प्रतीक | Symbol of silver tranquility and pottery are the blessings of Lord Dha | Patrika News

चांदी शांति और बर्तन भगवान धनवंतरी की कृपा के हैं प्रतीक

locationछिंदवाड़ाPublished: Oct 16, 2017 05:25:15 pm

Submitted by:

sanjay daldale

दीपोत्सव की चहल-पहल बाजार में दिखने लगी है।

chhindwara

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छिंदवाड़ा. दीपोत्सव की चहल-पहल बाजार में दिखने लगी है। इस त्योहार में धनतेरस का दिन बेहद महत्व पूर्ण है। भाईदूज तक पूजन करते हुए दीपोत्सव मनाया जाता है। इन दिनों में अलग-अलग देवी-देवताओं अलग-अलग पूजन विधि से पूजन कर परंपराएं पूर्ण की जाती हैं। धनतेरस के दिन चांदी व बर्तन खरीदने की परम्परा है।

इस परम्परा को तो लगभग सभी लोग पूरा करते हैं, लेकिन इसके पीछे वास्तविक कारण कम लोग ही जानते हैं, कि चांदी को शांति व बर्तन को भगवान धनवंतरी की कृपा के लिए खरीदा जाता है। एेसी मान्यता है कि इस दिन चांदी खरीदने से मां लक्ष्मी शांति प्रदान करती हैं।

ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद शांतनु शास्त्री ने बताया कि कार्तिक कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी की तिथि को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। पुराणों के मुताबिक इस दिन समुद्र मंथन के दौरान आयुर्वेद के प्रणेता या जनक भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन धनतेरस के रूप में मनाते हैं।

इस दिन बर्तन व चांदी की खरीदारी करने की परम्परा चली आ रही है। मां लक्ष्मी की कृपा जब लोगों पर बरसती है तो सुखों में सबसे पहले शांति को माना गया है। इसलिए चांदी की खरीदारी करने पर मां लक्ष्मी की कृपा से घर में शांति आती है।चांदी खरीदी इसलिए चूंकि चांदी मां लक्ष्मी द्वारा प्रदान की गई सुखों में सर्वप्रथम शांति को माना जाता है। इसलिए धनतेरस के दिन चांदी खरीदने से मां लक्ष्मी के द्वारा उस घर में शांति प्रदान की जाती है।

चांदी एक एेसी वस्तु है जो चंद्र देव का प्रतिनिधित्व करती है। भगवान चंद्र देव शीतलता के कारक माने गए हैं। रात्रि में शीतलता प्रदान करते हैं। चांदी की खरीदारी से समाज के प्रत्येक मनुष्य को भगवान चंद्र देव का आशीर्वाद स्वरूप शीतलता, सुख-शांति प्राप्त होती है। इस उद्देश्य से हमारे देश में धनतेरस के दिन चांदी खरीदने का रिवाज रहा है।

भगवान धनवंतरी की कृपा के लिए खरीदते हैं बर्तन
पुराणों में लेख के मुताबिक भगवान धनवंतरी जब अवतरित हुए थे तब उनके हाथ में अमृत कलश था। उन्हें आर्युवेद का जनक माना गया है। उनके हाथ में रखे अमृत कलश के कारण ही धनतेरस के दिन बर्तन खरीदा जाता है। मान्यता है कि कलश या पात्र के रूप में बर्तन खरीदना उत्तम होता है। इससे भगवान धनवंतरी की कृपा मिलती है।
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