वहीं दस साल तक उक्त शिक्षक के सेवानिवृत्त नहीं होने पर साथी कर्मचारियों के मन भी कई सवाल उठे तथा शिकायत करने पर विभागीय अधिकारी भी स्तब्ध में पड़ गए। जिला शिक्षा अधिकारी आरएस बघेल ने बताया कि परासिया विकासखंड अंतग्रत शासकीय उमावि रिधोरा में पदस्थ रहे उच्चश्रेणी शिक्षक भिवाजी गजभिए ने सर्विस बुक में वास्तविक जन्म तारीख 22 नवम्बर 1954 की जगह फर्जी जन्म तारीख 22 नवम्बर 1964 अंकित कर दी।
स्वयं ने किया था संधारण
आरोपी शिक्षक ने सेवा पुस्तिका का संधारण स्वयं किया था। बताया जाता है कि शिक्षक की हैंडराइटिंग अच्छी होने के वजह से उन्हें सेवा पुस्तिका संधारण का कार्य दिया गया था। इस बात का गलत लाभ उठाने का प्रयास किया गया।
छत्तीसगढ़ में हुई थी पहली पदस्थापना
मप्र-छत्तीसगढ़ के विभाजन से पूर्व 13 जून 1968 में बस्तर जिले के बिजापुर अंतर्गत ग्राम कुंडा में आरोपी शिक्षक गजभिए की पहली पदस्थापना हुई थी। पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग अंतर्गत प्रौढ़ शिक्षा विभाग में पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्ति हुई थी। विभाजन के बाद वे मप्र में कार्यरत रहे तथा जिला शिक्षा विभाग से वर्ष 2016 में सेवानिवृत्त हो गए है।