scriptTeacher’s day: हर साल यहां से चुने जाते है राष्ट्रपति अवार्ड के लिए शिक्षक, जानें वजह | Teachers day:Teachers are elected every year for the President's Award | Patrika News

Teacher’s day: हर साल यहां से चुने जाते है राष्ट्रपति अवार्ड के लिए शिक्षक, जानें वजह

locationछिंदवाड़ाPublished: Sep 05, 2019 12:57:45 pm

Submitted by:

Dinesh Sahu

– शिक्षक दिवस विशेष, जिले से अब तक 13 शिक्षकों को मिला सम्मान
 

Best Teacher award in Gujarat श्रेष्ठ शिक्षक अवार्ड में अब विद्यार्थी, अभिभावकों की राय को भी मिलेगी तवज्जो

Best Teacher award in Gujarat श्रेष्ठ शिक्षक अवार्ड में अब विद्यार्थी, अभिभावकों की राय को भी मिलेगी तवज्जो

छिंदवाड़ा/ शिक्षक ऐसा व्यक्तित्व जिसके लिए स्वत: ही सम्मान के भाव आते है। देश के भविष्य का निर्माण करने जिन्होंने अपने कई अइम लम्हों को भी विद्यार्थियों के लिए गवा दिया तथा जीवन पर्यन्त समाज, क्षेत्र, देश आदि को सवांरने में लगे हुए है। शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य पर पत्रिका जिले के ऐसे शिक्षकों के वर्तमान परिदृष्य को सामने लाने का प्रयास कर रहा है, जिन्होंने राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कर जिले को दिल्ली में सम्मान दिलाया है।
बता दें कि छिंदवाड़ा से अब तक 13 शिक्षक-शिक्षिकाओं को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है, जिसमें से 6 शिक्षक सेवा निवृत्त होने के बावजूद फिर से शिक्षक बनने की इच्छा रखते है तथा शेष लगातार किसी न किसी क्षेत्र में अपना दायित्व शिक्षा और समाज के विकास में प्रयासरत है।
एम.एल. सिंग, उमरेठ (वर्ष 1997 में सम्मानित)

– सामाजिक तथा धार्मिक कार्यों पर ध्यान –

उमरेठ स्थित महावीर मंदिर के निर्माण तथा सामाजिक विकास पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। शिक्षक एमएल सिंग बताते है कि उनके पढ़ाए कई विद्यार्थी प्रशासकीय पदों पर आसीन है। वर्ष 2011 में सेवानिवृत्त होने के बावजूद शिक्षक की भूमिका निभा रहे है, जिसके चलते आज भी वह बच्चों का मार्गदर्शन करते देखे जा सकते है।
शिक्षिका सुरेंद्र कोर खंडूजा, परासिया

– फिर से शिक्षिका बनना चाहती हूं –


सामाजिक गतिविधियों के अलावा लेखन कार्य में रूचि रखती है। महिला सशक्तिकरण, बच्चों के भविष्य, वर्तमान परिस्थितियों पर चिंतन आदि विषयों पर आर्टिकल लिख चुकी है। परासिया की शिक्षिक सुरेंद्र कोर खंडूजा बताती है कि उन्हें वर्ष 2000 में राष्ट्रपति पुरस्कार मिला। शैक्षणिक कार्य से इतनी प्रभावित हूं कि फिर मौका मिले तो वह निशुल्क पढ़ाना चाहती हूं।
शिक्षक विनोद तिवारी, छिंदवाड़ा

– दोगुना हो जाता है उत्साह


– राष्ट्रपति अवार्ड कई बिंदुओं पर खरे उतरने पर मिलता है, जिसके चलते संबंधित शिक्षक की जिम्मेदारी और उत्साह दोनों ही बढ़ जाते है तथा अपने दायित्वों का निर्वाह तेजी से करना पड़ता है। सामाजिक, धार्मिक, वन्य जीवों की सुरक्षा पर विभिन्न कार्य करने वाले राष्ट्रपति अवार्ड प्राप्त शिक्षक विनोद तिवारी ने बताया कि वह समाज तथा देश की अपेक्षाओं में खरे उतरना चाहते है।
शिक्षिका संध्या विश्वकर्मा, परासिया

– शिक्षा के क्षेत्र में अग्रसर रहना अच्छा लगता है


– शिक्षा तथा विद्यार्थियों के शैक्षणिक विकास पर हमेशा अग्रसर रहना अच्छा लगता है तथा बालिका शिक्षा पर विशेष कार्य करने की मंशा है। वर्तमान में जिस स्कूल में पदस्थ हूं, वहां कई कमियां देखने को मिली है। इनके सुधार के प्रयास भी कर जिले में एक आदर्श स्कूल का निर्माण करने का लक्ष्य है। वर्ष 2016 में राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानिक शिक्षिक संध्या विश्वकर्मा ने अपने विचारों को सांझा किया।
शिक्षक विजय आनंद दुबे, छिंदवाड़ा

– अभिनय और नाट्य शैली का अधिक प्रभाव


मंच पर अद्भूत कलाकारी का प्रदर्शन करने के साथ-साथ वर्ष 2017 में राष्ट्रपति अवार्ड प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके शिक्षक विजय आनंद दुबे ने बताया कि उन्हें बच्चों को अभिनय और नाट्य शैली में पढ़ाना ज्यादा प्रभावी लगता है। इससे बच्चे जो सीखते है वो जीवन पर्यंत स्मरण रहता है। शिक्षण के इस प्रयास से उचित परिणाम भी मिले है, इसलिए इस विद्या को आगे बढ़ाना चाहते है।
इन्हें भी मिल चुका है अवार्ड –


1. पंडित उदित नारायण शर्मा, छिंदवाड़ा।

2. शिवनारायण शर्मा, चांद

3. रविंद्र सिंग परिहार, जुन्नारदेव घोड़ावाड़ी

4. विष्णु नेमा, हर्रई

5. मुरलीधर राव, छिंदवाड़ा
6. दिनेश भट्ट, छिंदवाड़ा

7. रघुवीर राय, परासिया8. संदेश कुमार तिवारी, चौरइ

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो