सामाजिक गतिविधियों के अलावा लेखन कार्य में रूचि रखती है। महिला सशक्तिकरण, बच्चों के भविष्य, वर्तमान परिस्थितियों पर चिंतन आदि विषयों पर आर्टिकल लिख चुकी है। परासिया की शिक्षिक सुरेंद्र कोर खंडूजा बताती है कि उन्हें वर्ष 2000 में राष्ट्रपति पुरस्कार मिला। शैक्षणिक कार्य से इतनी प्रभावित हूं कि फिर मौका मिले तो वह निशुल्क पढ़ाना चाहती हूं।
– राष्ट्रपति अवार्ड कई बिंदुओं पर खरे उतरने पर मिलता है, जिसके चलते संबंधित शिक्षक की जिम्मेदारी और उत्साह दोनों ही बढ़ जाते है तथा अपने दायित्वों का निर्वाह तेजी से करना पड़ता है। सामाजिक, धार्मिक, वन्य जीवों की सुरक्षा पर विभिन्न कार्य करने वाले राष्ट्रपति अवार्ड प्राप्त शिक्षक विनोद तिवारी ने बताया कि वह समाज तथा देश की अपेक्षाओं में खरे उतरना चाहते है।
– शिक्षा तथा विद्यार्थियों के शैक्षणिक विकास पर हमेशा अग्रसर रहना अच्छा लगता है तथा बालिका शिक्षा पर विशेष कार्य करने की मंशा है। वर्तमान में जिस स्कूल में पदस्थ हूं, वहां कई कमियां देखने को मिली है। इनके सुधार के प्रयास भी कर जिले में एक आदर्श स्कूल का निर्माण करने का लक्ष्य है। वर्ष 2016 में राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानिक शिक्षिक संध्या विश्वकर्मा ने अपने विचारों को सांझा किया।
मंच पर अद्भूत कलाकारी का प्रदर्शन करने के साथ-साथ वर्ष 2017 में राष्ट्रपति अवार्ड प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके शिक्षक विजय आनंद दुबे ने बताया कि उन्हें बच्चों को अभिनय और नाट्य शैली में पढ़ाना ज्यादा प्रभावी लगता है। इससे बच्चे जो सीखते है वो जीवन पर्यंत स्मरण रहता है। शिक्षण के इस प्रयास से उचित परिणाम भी मिले है, इसलिए इस विद्या को आगे बढ़ाना चाहते है।
1. पंडित उदित नारायण शर्मा, छिंदवाड़ा। 2. शिवनारायण शर्मा, चांद 3. रविंद्र सिंग परिहार, जुन्नारदेव घोड़ावाड़ी 4. विष्णु नेमा, हर्रई 5. मुरलीधर राव, छिंदवाड़ा