गत वर्ष 1 हजार 134 छोटी बड़ी दुर्घटनाएं घटित हुई है। जिनमें कुल 383 लोगों की मौत हो चुकी, 12 लोग गम्भीर घायल एवं 989 लोगों को मामूली चोटें आई थी। इनमें से कुछ सड़क निर्माण में बरती गई तकनीकी खामी के कारण भी हुई है। सम्बंधित निर्माण एजेंसी की लापरवाही का खामियाजा आम लोगों को जान गंवाकर चुकाना पड़ रहा है, जबकि होने वाली मौत या फिर घायलों के कारण ट्रैफिक पुलिस का रिकॉर्ड खराब हो रहा है। सड़क सुरक्षा को लेकर की जाने वाली तमाम कार्रवाई और जागरुकता अभियान पर सवाल खड़े होने लगते हैं, जबकि चिन्हिृत स्थानों पर थोड़ी चूक भी दुर्घटना का कारण बनती है, इन परिस्थितियों में कई बार वाहन चालक का भी कोई दोष नहीं होता, किन्तु वह सड़क की खराबी के चलते एक्सीडेंट का शिकार हो जाता है। ऐसे स्थानों पर सुधार के लिए ट्रैफिक पुलिस की ओर से सम्बंधित रोड एजेंसी से पत्राचार किया गया है। बावजूद इसके अभी तक किसी भी स्थान पर किसी भी तरह का कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है।
सड़क सुरक्षा समिति में उठ चुका है मुद्दा
सम्पूर्ण मामले को सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में विगत तीन वर्षों से उठाया जा रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष रिकॉर्ड भी प्रस्तुत किया गया, किन्तु अभी तक इस गम्भीर विषय को विभाग के प्रमुख और जिले के जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया है। पुलिस अपनी जिम्मेदारियों और दायित्वों को पुरा कर रही। सम्बंधित रोड एजेंसी भी अपनी जिम्मेदारी समझे तो परिस्थितियां बदल जाएगी। पुलिस के तमाम प्रयासों के बाद भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
सड़क का नाम किमी में दूरी
राष्ट्रीय राजमार्ग 418 (लगभग)
राज्य मार्ग 667
एमडीआर मार्ग 495
प्रधानमंत्री सड़क 3859
अन्य सड़क 500 किमी
कुल लम्बाई 5,939 किमी
सुधार के लिए दिए सुझाव
चिन्हिृत स्थानों पर आवश्यक सुधार और साइन बोर्ड लगाने के लिए सुझाव दिए है। इन स्थानों पर तकनीकी खामियों की वजह से दुर्घटनाएं होती है।
-सुदेश कुमार सिंह, डीएसपी, ट्रैफिक, छिंदवाड़ा