बंदूक की नोक पर असंभव की मांग प्रो. राजकुमार पहाडे ने कहा कि आतंकवाद बंदूक की नोंक पर असंभव की मांग है। प्रो. योगेश अहिरवार ने कहा कि आतंकवाद उस रचनात्मक विचार को मारता है जिससे समाज संचालित होता है। प्रो. चंद्रशेखर उसरेठे ने कहा कि आतंकवादियों को पब्लिसिटी मिलना उनके लिए प्रोत्साहन का काम करता है। सुनील पाटिल ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता होनी चाहिए। क्रीड़ा अधिकारी प्रदीप पटवारी ने कहा कि चरमपंथियों की संस्कार विहीन शिक्षा उनको गलत मार्ग पर चलने को दुष्प्रेरित करती है । परिचर्चा का संचालन एवं सभी अतिथियों का आभार प्रदर्शन डॉ. अमर सिंह ने किया।