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‘आतंकवाद का फन पोषक को ही डसता है’

locationछिंदवाड़ाPublished: May 26, 2019 12:33:56 pm

Submitted by:

Rajendra Sharma

आतंकवाद का वायरस विश्व विकास की गति को हैक करने का कुत्सित इरादा रखता है: प्रो. सिंह

chhindwara

Terrorism a debate on subject a serious challenge against humanity

चांद कॉलेज में ‘आतंकवाद मानवता के विरुद्ध एक गंभीर चुनौती’ विषय पर परिचर्चा आयोजित
छिंदवाड़ा. शासकीय कॉलेज चांद व टीचर्स वेलफेयर सोसाइटी चांद के संयुक्त तत्वावधान में ‘आतंकवाद मानवता के विरुद्ध एक गंभीर चुनौती’ विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चौरई जनपद शिक्षा अधिकारी प्रदीप जैन ने कहा कि आतंकवाद वह खौफनाक हिंसात्मक कुकृत्य है जिसमें जबरन स्वार्थसिद्धि के लिए गैरकानूनी तरीके से अपनी नाजायज मांगों को मनवाया जाता है। आज इसकी जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि समूची मानवता के समक्ष अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है।
अशिक्षा, गरीबी, असमानता, शोषण व संसाधनों के असमान वितरण इसके मूल कारणों में से एक हैं। इसकी जड़ों पर प्रहार करके ही इसको कुचला जा सकता है। परिचर्चा अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. डीके गुप्ता ने कहा कि आतंकवादियों के कुकृत्यों की अनदेखी कर हम आतंक को आमंत्रित करते हैं। इसके प्रति हमारी शून्य सहिष्णुता होनी चाहिए। परिचर्चा मॉडरेटर व प्रमुख वक्ता डॉ. अमर सिंह ने कहा कि हम दहशत में रहकर दहशतगर्दी को नहीं खत्म कर सकते। आतंकवाद का फन उसको ही डसता है जो इसको पोषित करता है। आतंकवाद का वायरस विश्व विकास की गति को हैक करने का कुत्सित इरादा रखता है। आतंकवाद शोषितों का शोषकों के खिलाफ शोषण का युद्ध है।
टीचर्स वेलफेयर सोसाइटी के सचिव राकेश मालवीय ने कहा कि आतंकवाद की कोई जाति, धर्म या देश नहीं होता है। यह कमजोर लोगों का हथियार है। घातक अंजाम, नृशंस हत्याएं व भडक़ाना इनका प्रमुख कार्य होता है। शिक्षक चंद्रशेखर मराठा ने कहा कि आतंकवाद दीर्घ संचित असंतुष्टि की प्रतिक्रिया है। शिक्षक शरद कुमार धुर्वे ने कहा कि आतंकवाद गैरकानूनी, गैरतर्कसंगत व औचित्यहीन बर्बरतापूर्ण व्यवहार है। शिक्षक पौहप सिंह वर्मा ने कहा कि आतंकवाद मानव अधिकारों का हनन है जो कानून के शासन के अंत में विश्वास रखता है।
शिक्षक रघुनाथ वर्मा ने कहा कि अगर हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों को जियेंगे तो कभी भी आतंकी नहीं बनेंगे। शिक्षक चंद्रशेखर अयोधि ने कहा कि धर्म का उद्देश्य स्वयं पर नियंत्रण स्थापित करना है, इसकी आड़ में आतंक फैलाना नहीं। शिक्षक देवीसिंह राठौर ने कहा कि दहशतगर्दी भय पर आधारित है, धर्म का इसमें इस्तेमाल करना घातक है। प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि आंख के बदले आंख विश्व को अंधा बना देगी।
बंदूक की नोक पर असंभव की मांग

प्रो. राजकुमार पहाडे ने कहा कि आतंकवाद बंदूक की नोंक पर असंभव की मांग है। प्रो. योगेश अहिरवार ने कहा कि आतंकवाद उस रचनात्मक विचार को मारता है जिससे समाज संचालित होता है। प्रो. चंद्रशेखर उसरेठे ने कहा कि आतंकवादियों को पब्लिसिटी मिलना उनके लिए प्रोत्साहन का काम करता है। सुनील पाटिल ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता होनी चाहिए। क्रीड़ा अधिकारी प्रदीप पटवारी ने कहा कि चरमपंथियों की संस्कार विहीन शिक्षा उनको गलत मार्ग पर चलने को दुष्प्रेरित करती है । परिचर्चा का संचालन एवं सभी अतिथियों का आभार प्रदर्शन डॉ. अमर सिंह ने किया।
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