आरोपी को गिरफ्तार कर पुलिस ने अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान न्यायाधीश के समक्ष आए साक्ष्य एवं बचाव पक्ष द्वारा प्रस्तुत तर्कों पर विचार करने के बाद निर्णय पारित करते हुए आरोपी यश उर्फ आदित्य चौरिया को जीवन की अंतिम सांस तक जेल में रहने व 20 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। प्रकरण में नाबालिग पीडि़ता के भविष्यवर्ती जीवन को विचार में रखते हुए दंप्रसं 1973 की धारा 357(क) पीडि़त प्रतिकर योजना के अंतर्गत राज्य सरकार से प्रतिकर दिलाए जाने के भी आदेश दिए गए। प्रकरण में शासन की ओर से दिनेश कुमार उइके विशेष लोक अभियोजक छिंदवाड़ा ने पैरवी की।