देवगढ़ ग्राम पंचायत भवन से एक किमी की दूरी पर सूरजकुण्ड की बावड़ी मिली है जिसकी सफाई और जीर्णोद्धार का काम साथ-साथ चल रहा है। सफाई के दौरान यहां एक मंदिर और कुछ शिवलिंग के भगनावशेष मिले हैं। हालांकि मंदिर के अंदर अभी तक कोई मूर्ति नहीं मिली, लेकिन जिस तरह की कलाकृतिया और भगनावशेष मिल रहे, उन्हें देखते हुए बावडिय़ों का धार्मिक जुड़ाव भी सामने आ रहा। पूरा समाज इनका उपयोग कर रहा है इसीलिए सामाजिक रूप से भी जुड़ाव है और सबसे बड़ी बात यह कि गांव के लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत कर रही। सूरजकुण्ड की बावड़ी के पास से ही एक नदी का उद्गम स्थल भी है, जिसे सूरजकुण्ड की नदी कहते हैं, जो देवगढ़ ग्राम से होती हुई देव नदी में मिल जाती है। एक माह पहले यहां केवल 45 बावडिय़ों की पहचान हो पाई थीं। मोहखेड़ के सहायक यंत्री शिव सिंह बघेल ने बताया कि 21 मई से 21 जून के बीच 7 नई बावडिय़ां तलाशी जा चुकी है। पुरातत्व के जानकार नागेन्द्र बांगरे का कहना है। बावड़ी के करीब मंदिर रहा होगा और यहां पूजा भी होती रही होगी इसमें कोई दोमत नहीं है। समय के साथ अस्त व्यस्त हो चुका होगा।
देवगढ़ में मिल चुकी 52 बावडिय़ां
देवगढ़ एवं विजयगढ़ के आस-पास अभी तक 52 बावडिय़ां मिल चुकी है। पहले मिली 45 बावडिय़ों के जीर्णोद्धार का काम लगातार जारी है। सात बावडिय़ों की सफाई और जीर्णोद्धार के लिए दस्तावेजी कार्रवाई की जा रही है। सभी बावडिय़ों का जीर्णोद्धार मनरेगा योजना के तहत कराया जा रहा है।
-गजेन्द्र सिंह नागेश, सीइओ जिला पंचायत, छिंदवाड़ा