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ये है भारतीय रेलवे का सबसे बड़ा झूठ, कैग ने भी माना

locationछिंदवाड़ाPublished: Sep 15, 2017 11:48:21 am

Submitted by:

prabha shankar

घंटों से पैक भोजन से बदबू आने लगे, लेकिन स्टॉलकर्मियों के अनुसार ये ताजा ही है, यात्री मजबूर हैं इसे खाने के लिए

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The biggest fraud of Indian Railways

छिंदवाड़ा/ नागपुर. हाल ही में कैग (नियंत्रक व महालेखापरीक्षक) ने एक रिपोर्ट जारी की थी कि भारतीय रेलवे में यात्रियों को बेचा जा रहा भोजन वास्तव में इंसानों के खाने के लायक नहीं है। इसकी एक बानगी नागपुर स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर बने फूड स्टॉलों पर देखी जा सकती है। यहां घंटों से पैक भोजन से बदबू आने लगे, लेकिन स्टॉलकर्मियों के अनुसार ये ताजा ही है।
चूंकि यात्रियों के पास समय कम होता है, ऐसे में वह बिना सोचे-समझे ये भोजन खरीद लेते हैं। दूसरी ओर स्टॉल संचालक का खराब खाना भी बिक जाता है और आय भी हो रही है। बीती शाम 5.10 बजे ट्रेन 12106 गोंदिया-मुंबई विदर्भ एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म-3 पर खड़ी थी। इसी दौरान एक युवक ने प्लेटफॉर्म पर बने स्टॉल पर बेची जा रही सब्जी-रोटी और वेज बिरयानी के बारे में पूछा। स्टॉलकर्मी ने कहा कि अभी तो आई है, गरम ही है सब। यह बात अलग है कि बिरयानी के चावल खाते समय बदबू के साथ खट्टा स्वाद दे रहा था तो दूसरी ओर सब्जी में पानी और जानवरों के खाने के लायक रोटी नजर आई, लेकिन स्टॉलकर्मी के अनुसार, यह भोजन ताजा ही था। संभवत: इसी भोजन को देखने और थोड़ा खाने के बाद कैग ने रिपोर्ट जारी कर दी हो कि जिस भोजन को जानवर न खाए,यहां इंसानों को खिलाया जा रहा है। इन पैक्ड फूड के खाने लायक की विश्वसनीयता के तौर पर स्टीकर लगाकर आठ घंटों का समय दिखाया गया है। हालांकि यह बताने की जरूरत नहीं समझी गई कि कब से लेकर कब तक के 8 घंटे। फिर भले ही सुबह 10 बजे स्टॉल पर पहुंचे ये पैकेट रात को 10 बजे तक बेचे जाएं या फिर अगले दिन सुबह 10 बजे तक। चूंकि यात्री स्टीकर पर लगे 8 घंटे ही पढक़र विश्वास कर लेता है। ऐसा खराब भोजन स्टेशन के सभी निजी स्टालों पर धड़ल्ले से यात्रियों को बेचा जा रहा है, पर किसी की कोई रोक-टोक नहीं।

उठते हैं ये सवाल
ऐसे में सवाल यह उठता है कि पहले से ही पैक किए गए और घंटों देरी के बावजूद यात्रियों को बेचे जाने वाले खाद्य पदार्थों की निगरानी कभी हो भी रही है या नहीं। आखिर इन स्टॉलों को किस आधार पर खराब खाद्य पदार्थ बेचने की अनुमति दी जा रही है। जानकारी के अनुसार यहां स्टॉलों के शुरू होने के बाद किसी भी मंडल रेल अधिकारी द्वारा कभी कोई जांच करना जरूरी नहीं समझा गया। इसे ठेकेदार कम्पनी पर मंडल रेल अधिकारियों का विश्वास कहें या फिर आत्मविश्वास नागपुर स्टेशन पर नामी ठेकेदारों द्वारा बेचे जा रहे ऐसे खराब भोजन से साफ है कि उन्हें सरकार के कान खींचने वाली देश की सर्वोच्च स्वायत्त निगरानी संस्था कैग का भी डर नहीं है। जैसा चलता है, वैसा चलता रहेगा। ऐसे में यदि ऐसा दूषित भोजन करने से किसी यात्री को फूड पॉयजनिंग हो गई और उसकी जान पर बन आई तो जिम्मेदार कौन होगा।

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