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The campaign: नशा छोडऩा चाहते हैं तो पढ़ें यह खबर, लॉकडाउन है उत्तम समय, विशेषज्ञ की यह है राय

locationछिंदवाड़ाPublished: Apr 04, 2020 12:47:20 pm

Submitted by:

ashish mishra

व्यसन और नशे में फंसे लोगों के लिए यह अवसर है।

नशे की गोलियों सहित अनूपगढ के दो तस्कर गिरफ्तार

नशे की गोलियों सहित अनूपगढ के दो तस्कर गिरफ्तार


छिंदवाड़ा. राष्ट्रीय आपदा कोरोना की वजह से इस समय छिंदवाड़ा लॉकडाउन है। अतिआवश्यक वस्तुएं की बिक्री के अलावा अन्य सामानों को बेचने पर प्रतिबंध हैं। सरकार ने शराब, भांग-गांजा, तंबाकू-पान, गुटखा-सिगरेट की दुकानें बंद रखने के आदेश दे रखा है। ऐसे में व्यसन और नशे में फंसे लोगों के लिए यह अवसर है। बस एक संकल्प ले और व्यसन के संक्रमण को सदा के लिए आइसोलेशन में भेज दें। अभी भी हमारे पास काफी समय है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस समय नशे की बिक्री वाला हर द्वार बंद है। ऐसे में यह उत्तम मौका होगा इसे छोडऩे का। यह मौका अगर हमने गंवा दिया तो शायद फिर कभी नहीं मिलेगा।
परिवार का साथ होना जरूरी
शहर में मातृ सेवा संघ द्वारा संचालित पंडित आरडीशर्मा मेमोरियल नशा मुक्ति सहपुनर्वास केन्द्र के डायरेक्टर राकेश शर्मा कहते हैं कि अगर कोई इंसान नशा छोडऩा चाहता है तो वह 90 दिन में विभिन्न प्रक्रिया से उसका नशा छुड़ा सकते हैं। राकेश ने बताया कि हमारे यहां नशा छुड़ाने के लिए जब कोई आता है तो सबसे पहले हम उसका ब्लड सेम्पल लेते हैं। इसके बाद उसकी स्थिति की जांच करते हैं। इस प्रक्रिया के बाद हमें यह क्लीयर होता है कि पेसेंट किस स्थिति में है। इसके बाद हम तीन माह में 12 काउंसलिंग और दवा के माध्यम से हम नशा छुड़ाने का प्रयास करते हैं। राकेश कहते हैं कि अगर तीन माह में पेसेंट की 12 काउंसलिंग हो जाए तो वह पक्का नशा छोड़ देगा, लेकिन शर्त यह है कि परिवार हमें सपोर्ट करे। राकेश शर्मा 1999 से नशा मुक्ति पर काम कर रहे हैं। उन्होंने अब तक लगभग 2000 लोगों की नशा से लत छुड़ाई है। इसमें सिवनी, बालाघाट सहित अन्य जिलों के लोग भी शामिल हैं।

नशा नहीं है गम भूलाने का जरिया
राकेश शर्मा कहते हैं कि आज युवाओं में नशा करने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। इसकी वजह है कि आज नशा एक फैशन बन गया है। इसके अलावा अधिकतर की सोच यह होती है कि नशा करने से गम भूलाया जाता है। कोई तनाव को दूर भगाने के लिए नशा कर रहा है। जबकि यह सारे मिथक हैं। नशा से केवल और केवल हानि होती है। शरीर की भी और परिवार की भी। ऐसे में हर नशा करने वाले व्यक्ति को अब संकल्पि होना होगा। क्यों यह कई पीढिय़ां बर्बाद कर देती हैं। इसके दुष्परिणाम से हम अंजान हैं।

ऐसे छोड़ सकते हैं नशा
नशा मुक्ति केन्द्र के संचालक कहते हैं कि जो नशे के आदि होते हैं उनकी शारिरिक प्रतिक्रियाएं अलग ही दिखाई देती हैं। शरीर में थकान सा महसूस होने लगता है, शारिरिक दर्द होता है, स्पाइन पर जोर आता है। ऐसे में वह नशा की तरफ खींचा चला जाता है। शारिरिक प्रतिक्रियाएं दिन में कुछ समय के लिए ही रहती हैं। यही उत्तम समय होता है खुद पर कंट्रोल करने का। अगर हमने कंट्रोल कर लिया तो नि:संदेह हम नशा छोड़ सकते हैं।

यह अच्छा अवसर है
लॉकडाउन नशा छोडऩे के लिए अच्छा अवसर है। हर नशा करने वाले व्यक्ति को संकल्प लेना होगा। वर्तमान परिस्थिति में तो स्वास्थ्य को परखकर फैसला लिया जा सकता है। इसके लिए पर्याप्त अवसर है। नशा कोई भी हो, वह परिवार को प्रभावित करता है।
राकेश शर्मा, डायरेक्टर, नशा मुक्ति केन्द्र
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