‘एक परिसर-एक शाला’ संचालन का पालन अनिवार्य मानव एवं भौतिक संसाधनों का लाभ भी विद्यार्थियों को लाभ मिल सकेगा तथा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार भी हो सकेगा। वहीं अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण लगाया जा सकेगा। हालांकि यह निर्देश पहले भी जारी किए जा चुके है, लेकिन शासन के निर्देशों का परिपालन नहीं किए जाने पर नए तरीके से कार्रवाई की चेतावनी के साथ इसे जारी किया गया है।
सर्वे के बाद लिया गया निर्णय
एक परिसर में संचालित स्कूलों का भौतिक सत्यापन कराया गया था। इसमें जिले से प्राप्त सत्यापन के आधार पर प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा २२४ विकासखंडों में संचालित ३४९९७ स्कूलों को एकीकृत करने पर कुछ एकीकृत स्कूलों की संख्या १५९५१ रह गई। एकीकृत स्कूलों में से ११८९४ स्कूलों का प्राथमिक से माध्यमिक तक १३७८ स्कूलों का प्राथमिक से लेकर हाई स्कूल तक एवं ७८४ स्कूलों का पहली से लेकर बारहवीं तक एकीकृत करने की योजना है।
एेसे होगा आदेश का पालन
1. एक परिसर एक शाला के रूप में चिन्हित परिसरों का आदेश जिला शिक्षा अधिकारी के प्रस्ताव पर कलेक्टर जारी करेंगे।
2. एकीकरण के बाद शाला का नाम वरिष्ठ स्तर के स्कूल के नाम पर जाना जाएगा। हालांकि किसी स्कूल का नाम महापुरुष या विभूति के नाम से संचालित है तो एकीकृत शाला का नाम भी वहीं रहेगा।
3. एक परिसर में संचालित समस्त शालाओं का डाइस कोड भी एकीकृत शाला के आधार पर बदल जाएगा।
4. एक परिसर में दो पालियों में शालाओं के संचालन का भौतिक सत्यापन डीइओ करेंगे तथा उपयुक्त पाए जाने पर जिलास्तरीय समिति एकीकृत करने का निर्णय ले सकेंगी।
5. एकीकृत शाला में वरिष्ठतम शाला के प्राचार्य, प्रधानाध्यापक प्राचार्य रहेंगे तथा समानस्तर की शालाओं के एकीकरण की स्थिति में वरिष्ठ प्राचार्य, प्रधानाध्यापक एकीकृत शाला के प्राचार्य या प्रधानाध्यापक के रूप में कार्य करेंगे आदि कार्यों के संदर्भ में गाइडलाइन जारी की गई है।