दरअसल, परासिया विकासखंड के अंतर्गत शिवपुरी के उरधन निवासी एक महिला को हृदयघात हुआ था। उपचार के लिए परिजन उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे थे। परिजन ने बताया कि वह एक घंटे तक इधर से उधर भटकते हुए ट्रामा यूनिट भी गए, लेकिन किसी भी डॉक्टर ने उनकी सुध नहीं ली, जबकि उन्होंने ओपीडी पंजीयन विभाग से पर्ची भी बनवा ली थी। इतना ही नहीं किसी भी स्वास्थ्य कर्मचारी ने उनका मार्गदर्शन नहीं किया और न ही स्टे्रचर उपलब्ध कराया। इस लापरवाही की वजह से लोग आक्रोशित हो गए तथा काफी देर तक हंगामा किया।
मजबूरी में ले जाना पड़ा निजी हॉस्पिटल
शासन से लाखों रुपए की तनख्वाह पाने वाले डॉक्टर मरीज की स्थिति देखने के बाद भी जगह से उठते तक नहीं हैं। देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक लाखों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन लचर प्रबंधन के चलते मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। उक्त घटना में जब जिला अस्पताल से राहत नहीं मिली तो मजबूरी में परिजन मरीज को निजी हॉस्पिटल लेकर गए।
एक दिन पहले ही कलेक्टर ने दी थी हिदायत
जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर नहीं बेहतरीन बनाने के लिए एक दिन पहले ही रविवार को कलेक्टर वेदप्रकाश ने चिकित्सा अधिकारियों तथा कर्मचारियों को हिदायत दी थी। इसके बाद भी डॉक्टरों की कार्यशैली में गम्भीरता नजर नहीं आई।