संभागायुक्त बहुगुणा ने बताया कि वर्तमान में समानांतर शिक्षा प्रणाली है तथ शासकीय स्कूलों में बेहतर शिक्षक व सुविधाएं भी है, फिर भी लोगों का विश्वास घटते जा रहा है। उन्होंने बताया कि शासकीय स्कूलों में अधिकांश गरीब बच्चे ही पढ़ते है, इसलिए सभी बच्चों को मानक शिक्षा उपलब्ध कराने तथा कमजोर पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरुरत है। बच्चों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए बल की अपेक्षा नीति बनाना चाहिए तथा बच्चों से उचित ढंग से संवाद करना चाहिए।
बहुगुणा ने बताया कि बेहतर वातावरण और परिवेश में बच्चा शिक्षा ग्रहण करे, यह हर पालक की इच्छा होती है। उन्होंने कहा कि शासकीय शिक्षक अकादमिक क्षेत्र में दक्ष होते है, इसलिए उनसे बेहतर शिक्षा की अपेक्षा की जा सकती है तथा टीम वर्क के उद्देश्य से संस्कृति विकसित करना, शार्टकट विधि नहीं अपनाना, शिक्षा की उच्च गुणवत्ता विकसित करना आदि शामिल है।
इस अवसर पर लोक शिक्षण विभाग के संभागीय संयुक्त संचालक राजेश तिवारी, डिप्टी कमिश्नर यादव, जिला शिक्षा केंद्र के डीपीसी जीएल साहू, एमएलबी स्कूल प्राचार्य लक्षमन तुरनकर, उत्कृष्ट विद्यालय प्राचार्य आइएम भीमनवार समेत समस्त विकासखंडों के प्राचार्य मौजूद थे।
शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता पर किया फोकस –
कार्यक्रम में शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता विषय पर जोर दिया गया तथा संभागायुक्त बहुगुणा ने शिक्षा का उद्देश्य गरीबी के हर स्तर पर प्रभावी साधन होना चाहिए। माध्यमिक स्तर पर ही बच्चों को मानक शिक्षा उपलब्ध कराने पर काफी मदद मिलती है। बताया जाता है कि आठवीं के बाद बच्चे सीधे हाईस्कूल में आ जाते है, लेकिन मिडिल स्तर पर उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य तथा स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया जाता है। इसके कारण उच्चस्तर पर प्रभाव कम देखने को मिलता है।
कार्यक्रम में शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता विषय पर जोर दिया गया तथा संभागायुक्त बहुगुणा ने शिक्षा का उद्देश्य गरीबी के हर स्तर पर प्रभावी साधन होना चाहिए। माध्यमिक स्तर पर ही बच्चों को मानक शिक्षा उपलब्ध कराने पर काफी मदद मिलती है। बताया जाता है कि आठवीं के बाद बच्चे सीधे हाईस्कूल में आ जाते है, लेकिन मिडिल स्तर पर उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य तथा स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया जाता है। इसके कारण उच्चस्तर पर प्रभाव कम देखने को मिलता है।