उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल की नवीन व्यवस्था के कारण कुछ विभाग नवीन तथा कुछ पुरानी बिल्डिंग में संचालित हो रहे है। नवीन बिल्डिंग में जाने को खोजना सामान्य लोगों के बस में नहीं होता है। स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा भी उचित मार्गदर्शन नहीं दिया जाता है, ऐसे में मरीज इधर से उधर भटकते रहते है। हालांकि कॉलेज प्रशासन डॉक्टरों द्वारा नियमित ड्यूटी किए जाने का दावा करता है।
वार्डों में नहीं बैठ रहे एसआर-जेआर –
इधर जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों में ड्यूटी कार्य को लेकर खींचतान मची हुई है। शासन के नियमों के अनुसार वार्डों में एसआर तथा जेआर डॉक्टरों को ड्यूटी करना है, लेकिन वह मनमाने समय पर आते एवं चले जाते है। इसके चलते जिला अस्पताल के डॉक्टरों में आक्रोश बना हुआ है तथा वह सिविल सर्जन से इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई के लिए दबाव बना रहे है। साथ ही स्थिति सामान्य नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दे रहे है।
इधर जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों में ड्यूटी कार्य को लेकर खींचतान मची हुई है। शासन के नियमों के अनुसार वार्डों में एसआर तथा जेआर डॉक्टरों को ड्यूटी करना है, लेकिन वह मनमाने समय पर आते एवं चले जाते है। इसके चलते जिला अस्पताल के डॉक्टरों में आक्रोश बना हुआ है तथा वह सिविल सर्जन से इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई के लिए दबाव बना रहे है। साथ ही स्थिति सामान्य नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दे रहे है।
एक ही फ्लोर पर होनी चाहिए ओपीडी –
मरीजों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों की समस्त विभागों की ओपीडी एक ही फ्लोर पर होना चाहिए, जिससे मरीज भटके नहीं और आसानी से उपचार करा सके। इस संदर्भ में आरएमओ डॉ. सुशील दुबे ने बताया कि ओपीडी की व्यवस्था को लेकर कई बार शिकायतें आ रही है तथा मरीज विभागों को खोजते हुए उनके पास पहुंचते है। इस संबंध में आए पत्रों को मेडिकल कॉलेज प्रशासन को प्रेषित किया गया है।
मरीजों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों की समस्त विभागों की ओपीडी एक ही फ्लोर पर होना चाहिए, जिससे मरीज भटके नहीं और आसानी से उपचार करा सके। इस संदर्भ में आरएमओ डॉ. सुशील दुबे ने बताया कि ओपीडी की व्यवस्था को लेकर कई बार शिकायतें आ रही है तथा मरीज विभागों को खोजते हुए उनके पास पहुंचते है। इस संबंध में आए पत्रों को मेडिकल कॉलेज प्रशासन को प्रेषित किया गया है।
नहीं है नियंत्रण –
मेडिकल कॉलेज के किसी भी डॉक्टर या उनके कर्मचारियों पर सिविल सर्जन का नियंत्रण नहीं है, जिसके कारण वह उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाते है। व्यवस्थाओं को लेकर डीन से कई बार चर्चा हुई है।
मेडिकल कॉलेज के किसी भी डॉक्टर या उनके कर्मचारियों पर सिविल सर्जन का नियंत्रण नहीं है, जिसके कारण वह उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाते है। व्यवस्थाओं को लेकर डीन से कई बार चर्चा हुई है।
– डॉ. सुशील दुबे, आरएमओ