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मरीज तो मरीज यहां डॉक्टर भी भटक जाते है रास्ता, जानें पूरा मामला

locationछिंदवाड़ाPublished: Jun 07, 2019 12:06:49 pm

Submitted by:

Dinesh Sahu

अस्थि, मेडिसीन समेत अन्य विभागों को खोजते फिरते है मरीज
 

The patient and the doctor who goes astray, Learn Full Case

मरीज तो मरीज यहां डॉक्टर भी भटक जाते है रास्ता, जानें पूरा मामला

छिंदवाड़ा. शासकीय मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध जिला अस्पताल छिंदवाड़ा की नवीन बिल्डिंग चल रही ओपीडी तथा वार्ड व्यवस्था मरीजों के लिए मुसीबत साबित हो रही है। स्थिति यह है कि मरीज तो मरीज कई बार डॉक्टर भी संबंधित विभागों को खोजते फिरते है। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने इसका विरोध किया, लेकिन हालात जस की तस बने हुए है। बताया जाता है कि उक्त समस्या को लेकर पेंशनर्स संगठन के पदाधिकारियों ने भी आवेदन किया है।
उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल की नवीन व्यवस्था के कारण कुछ विभाग नवीन तथा कुछ पुरानी बिल्डिंग में संचालित हो रहे है। नवीन बिल्डिंग में जाने को खोजना सामान्य लोगों के बस में नहीं होता है। स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा भी उचित मार्गदर्शन नहीं दिया जाता है, ऐसे में मरीज इधर से उधर भटकते रहते है। हालांकि कॉलेज प्रशासन डॉक्टरों द्वारा नियमित ड्यूटी किए जाने का दावा करता है।
वार्डों में नहीं बैठ रहे एसआर-जेआर –


इधर जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों में ड्यूटी कार्य को लेकर खींचतान मची हुई है। शासन के नियमों के अनुसार वार्डों में एसआर तथा जेआर डॉक्टरों को ड्यूटी करना है, लेकिन वह मनमाने समय पर आते एवं चले जाते है। इसके चलते जिला अस्पताल के डॉक्टरों में आक्रोश बना हुआ है तथा वह सिविल सर्जन से इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई के लिए दबाव बना रहे है। साथ ही स्थिति सामान्य नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दे रहे है।
एक ही फ्लोर पर होनी चाहिए ओपीडी –


मरीजों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों की समस्त विभागों की ओपीडी एक ही फ्लोर पर होना चाहिए, जिससे मरीज भटके नहीं और आसानी से उपचार करा सके। इस संदर्भ में आरएमओ डॉ. सुशील दुबे ने बताया कि ओपीडी की व्यवस्था को लेकर कई बार शिकायतें आ रही है तथा मरीज विभागों को खोजते हुए उनके पास पहुंचते है। इस संबंध में आए पत्रों को मेडिकल कॉलेज प्रशासन को प्रेषित किया गया है।
नहीं है नियंत्रण –


मेडिकल कॉलेज के किसी भी डॉक्टर या उनके कर्मचारियों पर सिविल सर्जन का नियंत्रण नहीं है, जिसके कारण वह उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाते है। व्यवस्थाओं को लेकर डीन से कई बार चर्चा हुई है।
– डॉ. सुशील दुबे, आरएमओ

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