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तो ये वजह है मानूसन के रूठने की…

locationछिंदवाड़ाPublished: Jun 15, 2019 10:53:33 pm

Submitted by:

prabha shankar

बीते छह में से चार वर्ष जून में तरसाया बादलों ने, इस बार लगातार चौथे वर्ष मानसून फिर से लेट

Barish

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छिंदवाड़ा. मानसून के इस बार देर से आने पर खूब हायतौबा मच रही है, लेकिन उसका यह रुख नया नहीं है। बीते चार वर्षों में मानसून कभी समय पर जिले में नहीं आया। पिछले छह वर्षों का रिकॉर्ड देखें तो जिले में मानसूनी बारिश की शुरुआत ही गड़बड़ा रही है। कभी तय समय से पहले आया तो कभी बाद में। औसत देखें तो मानसून का समय कभी सात दिन तो कभी आठ दिन गड़बड़ा गया है। जमीन के नीचे के जलस्रोतों का लापरवाही पूर्ण तरीके से दोहन और दुरुपयोग तथा बेरहमी से कटते पेड़ों ने पूरे संतुलन को बिगाड़ दिया है। जिले में मानसून की आवक 15 जून तक हो जाती है। 20 तारीख तक पूरे जिले में मानसून सक्रिय हो जाता है लेकिन अब स्थितियां बिगड़ती दिख रहीं हैं सबसे चिंताजनक बात तो यह है कि 120 दिन तक यह ऋतुचक्र घट कर केवल 80 से 85 दिन का रह गया है। 2014 में पिछले छह सालों में सबसे लेट मानसून जून की 27 तारीख को आया था।
जून में चाहिए 160 मिमी बारिश
कृषि और जल संरक्षण और पर्यावरण से जुड़े विभागों की मानें तो जून में जिले में 160 मिमी बारिश हो जानी चाहिए। यह भूजल, खेती की जमीन के साथ जंगल में पेड़ पौधों के जरिए जल संरक्षण के लिए बेहद जरूरी है। 2013 मेंं जून के महीने में 230 मिमी बारिश हुई थी। उस साल मानसून समय पर था। वर्षा तो पिछले साल 2018 में भी जून के महीने में 239 मिमी हुई। लेकिन उसके बाद के तीन महीने पानी के बादल ऐसे रूठे कि औसत बारिश तक आंकड़ा नहीं पहुंच पाया और जिले में लगातार दूसरे साल सामान्य बारिश नहीं हो सकी। 2014 में 54 मिमी, 2015 में 126 मिमी, 2016 में 120 मिमी और 2017 में केवल 50 मिमी बारिश जून में हुई थी। इस बार जून का आधा महीना बीत चुका है और जिले में सिर्फ पांच मिमी बारिश हुई है। 15 दिन बचे है और मानसून सक्रिय होने में कम से कम दस दिन और लगाएगा। ऐसे में इस बार जून सूखा ही समझो।
अनियंत्रित बारिश ज्यादा पहुंचा रही नुकसान
अनियंत्रित बारिश ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है। 2016 में 19 जून को एक ही दिन में लगभग 4 इंच बारिश हो गई। उसके बाद बाद दिन के सूखे के बाद 24 को पानी बरसा तो केवल 5 मिमी। जून 17 में समय से पहले 7 को मानसून की बारिश 11 मिमी हुई, लेकिन उसके बाद से 13 दिन में सिर्फ 40 मिमी पानी बरसा। इस बार तो हालात और खराब दिख रहे हैं। पिछले साल जून की 15 तारीख तक 90 मिमी बारिश जिले में हो गई थी इस बार अब तक 4.9 मिमी पानी ही बरसा है।

बोवनी 100 मिमी के बाद ही… किसान इस समय बोवनी के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार एक निश्चित अनुपात में बारिश होने के बाद ही बोवनी की जा सकती है। आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र के सहायक संचालक डॉ. वीके पराडकर ने बताया कि कम से कम 100 मिमी बारिश इसके लिए होना चाहिए। 2014 से 2017 तक बोवनी इसीलिए प्रभावित हुई। किसान भले ही फसल पकने के समय में देरी को देखते हुए जल्द बोवनी करने के लिए ललायित होते हैं लेकिन यह उत्पादन और गुणवत्ता पर प्रभाव डालती है।

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