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अनाज तौल को लेकर हमेशा होता रहा है विवाद

locationछिंदवाड़ाPublished: May 04, 2020 05:25:55 pm

Submitted by:

Rajendra Sharma

समर्थन मूल्य पर किसानों की उपज खरीदी और परिवहन का मामला

Purchase of wheat on support price

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छिंदवाड़ा/ समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी में इस बार भी तौल को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। प्रशासन ने तत्काल तो व्यवस्था बनाकर जैसे-तैसे मामले को शांत कर दिया है ताकि खरीदी सुचारू चलती रहे, लेकिन आगामी एक महीने के दौरान अनाज के वजन को लेकर परिवहनकर्ता, गोदाम संचालकों और समितियों के बीच विवाद अब नहीं होगा, यह कहना मुश्किल है। दरअसल, तौल के मुद्दे पर कोई निश्चित नियम न तो खरीदी के लिए जिम्मेदार विभाग, नोडल विभाग न प्रशासन उच्चस्तर पर बनाता दिख रहा है न इस सम्बंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इस मामले में सब अपने-अपने नियम कानून के तरह काम करने की बात करते हैं और मुश्किल ये है कि सबकी बातें एक-दूसरे से विपरीत हैं।
गोदाम संचालकों का कहना है कि हम अपने धर्मकांटे से तौलने के बाद वजन के अनुसार अनाज रखेंगे। दूसरी ओर समिति प्रबंधकों का कहना हे कि हमने बोरे तौलकर रखवाए तौल-पत्रक दिया, उसके बाद अनाज कम निकले तो हम जवाबदार कैसे? इधर, परिवहनकर्ता समितियों द्वारा सभी बोरों का वजन नहीं करने और अनाज के परिवहन तक उसकी नमी सूख जाने के कारण वजन कम होने जैसी बात कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।
हर वर्ष होता है विवाद

ध्यान रहे तौल को लेकर विवाद पिछले कुछ वर्षों से ज्यादा हो रहा है। पिछले वर्ष तो गेहूं की खरीदी बहुत कम हुई थी इसलिए विवाद की स्थिति सामने नहीं आई। इस बार कम पंजीयन के बाद भी गेहूं की खरीदी का आंकड़ा अच्छा खासा दिख रहा है। सहकारी समिति कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों और समिति प्रबंधकों का कहना है कि तौल को लेकर हमेशा विवाद होते रहे हैं और इसमें समितियों पर ही आर्थिक नुकसान की भरपाई थोप दी जाती है। दो वर्ष पहले गेहूं और उससे पहले मक्का के तौल का मामला भोपाल तक पहुंचने के बाद उच्च अधिकारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा था और जिला स्तर पर इसकी समिति कलेक्टर को बनाने के निर्देश दिए गए थे।
अब धर्मकांटे पर होगा वजन

अब समितियों में अनाज भरने से पहले खाली वाहन का वजन धर्मकांटे पर लिया जाएगा। उसके बाद समिति से अनाज भरने के बाद भरे वाहन का वजन फिर उसी धर्मकांटे से लिया जाएगा। वहां जो वजन आएगा उस वजन को मान्य किया जाएगा। इस संबंध में शनिवार से व्यवस्था बनाने की बात परिवहनकर्ता और समिति प्रबंधकों ने कही है। हालांकि कुछ जानकार दो अलग-अलग धर्मकांटों में एक जैसे ही वजन न आने की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि तकनीकी वजह से कभी भी एक सा वजन दो बड़े कांटों में नहीं दिखाई देता। इसीलिए लोडिंग अनलोडिंग के बड़े कामों में दो प्रतिशत का मार्जिन या छूट दी जाती है, लेकिन यह नियम सरकारी उपार्जन में लागू नहीं किया जाता।
इनका कहना है

&वजन को लेकर विवाद हमेशा से होता रहा है। अब नई व्यवस्था के तहत धर्मकांटे पर वजन के बाद मात्रा तय होगी। इसके बाद भी गोदाम के धर्मकांटे में तोलते समय वजन कम ज्यादा नहीं होगा, इसकी गारंटी नहीं है। यह तकनीकी मामला है फिलहाल तो नई व्यवस्था के अनुसार काम कर रहे हैं।
रोमी राय, मुख्य परिवहनकर्ता, टांसपोर्टर
&हमारा सिर्फ यही कहना है कि कोई तकनीकी गड़बड़ी हो रही है तो उसे सुधारा जाए।
कम वजन का पूरा भार समितियों
के जिम्मे ही क्यों थोपा जाता है। इसकी पूरी जांच के बाद ही जवाबदेही तय होनी चाहिए। नई व्यवस्था से समस्या हल हुई या नहीं, ये जल्द ही पता चलेगा।
गोविंद ओक्टे, अध्यक्ष सहकारी समिति कर्मचारी संघ
&हमें जो निर्देश मिले हैं उसके अनुसार अपने धर्मकांटे में वजन के अनुसार ही कुल मात्रा की एंट्री करेंगे। इस सम्बंध में समिति और परिवहनकर्ताओं के बीच क्या करार और समन्वय है, वह नोडल विभाग जाने। इस सम्बंध में विपणन संघ के अधिकारी ज्यादा जानकारी दे सकते हैं।
मूजलता चौरे, प्रबंधक, राज्य भंडार गृह, छिंदवाड़ा
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