इस साल गेहूं का सरकारी समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित हैं। रुस-यूक्रेन युद्ध के चलते पूरे विश्व में गेहूं की मांग बढ़ी हैं। इसके चलते अभी तक स्थानीय व्यापारी किसानों को मण्डी में उच्चतम भाव देकर गेहूं खरीद रहे थे और उसे निर्यात एजेंसियों को दे रहे थे। ये गेहूं छिंदवाड़ा से सीधे गुजरात के बंदरगाहों में पहुंचता था। केन्द्र सरकार ने देश में गेहूं की बढ़ती कीमत को देखते हुए सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी है।
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खाद्य सुरक्षा और सरकारी खरीदी कम
नोटिफिकेशन में सरकार ने कहा कि देश की खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। साथ ही पड़ोसी देशों और गरीब देशों को सपोर्ट करने के लिए भी ऐसा करना जरूरी था। हालांकि जरूरतमंद देशों को गेहूं का निर्यात जारी रहेगा। एक कारण यह भी है कि कई प्रमुख राज्यों में सरकारी खरीद की प्रक्रिया काफी सुस्त चल रही है और लक्ष्य से काफी कम गेहूं की खरीदारी हुई है।
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गेहूं के व्यापार में उथल-पुथल
अनाज व्यापारी संघ के अध्यक्ष प्रतीक शुक्ला का कहना है कि गेहूं का निर्यात अचानक बंद कर दिए जाने से गेहूं के व्यापार में उथल पूथल का माहौल बना हुआ है इस आकस्मिक निर्णय से छोटे किसानों एवं व्यापारियों को नुक़सान उठाना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि उत्पादन कम होने एवं निर्यात अधिक हो चुके होने के कारण क़ीमतों को लम्बे समय तक क़ाबू कर पाना मुश्किल होगा ।
उनके मुताबिक सोमवार को बुद्ध पूर्णिमा पर कृषि उपज मण्डी कुसमैली में अवकाश रहेगा। मंगलवार को जब मंडी खुलेगी, तब गेहूं में नया भाव देखने को मिलेगा।
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समर्थन मूल्य की खरीदी अब 31 तक
समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी का पहले अंतिम दिन 15 मई निर्धारित था। अब तक खरीदी 1 लाख क्विंटल ही पार हो पाई है। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गेहूं खरीदी 31 मई तक करने के निर्देश जारी किए हैं। गेहूं निर्यात बंद होने से मण्डी में भाव गिरने की आशंका हैं। ऐसे में समर्थन मूल्य किसानों को राहत देगा। इसके साथ ही सरकारी कोटे में गेहूं की बढ़ोत्तरी भी होगी।