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शो-पीस बने शिवराज की फोटो वाले ये कार्ड

locationछिंदवाड़ाPublished: Dec 16, 2018 08:50:24 pm

Submitted by:

prabha shankar

कांग्रेस सरकार आने के बाद कार्ड की उपयोगिता पर सवाल, जिले में सात लाख असंगठित श्रमिकों का हुआ था पंजीयन

These cards made Show-piece

These cards made Show-piece

छिंदवाड़ा. कांग्रेस सरकार आते ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के फोटो वाले सम्बल कार्ड शोभा की सुपारी बन गए हैं। सरल बिजली से लेकर अंत्येष्टि सहायता तक के लिए बनाए गए कार्ड कहीं घर पर रखे हुए हैं तो 25 फीसदी कार्ड का वितरण नगरीय निकाय और पंचायतों से नहीं हो पाया है। अब नई सरकार में इसकी उपयोगिता पर सवाल खड़े हो गए हैं। असंगठित मजदूर वर्ग असमंजस में है तो अधिकारी-कर्मचारियों को नई गाइड लाइन का इंतजार हैं।
शिवराज सरकार के अंतिम छह माह रहते जिले के नगरीय निकाय और पंचायतों में बड़े पैमाने पर मुख्यमंत्री सम्बल योजना के तहत सम्बल कार्ड बनाए गए थे। इस कार्ड में मुख्यमंत्री की फोटो के साथ मजदूर पंजीयन संख्या लिखी हुई थी। ये कार्ड बीती छह अक्टूबर को विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने तक बनाए गए। इस बीच सरकार बदल जाने से इन कार्ड का औचित्य समाप्त हो गया है। फिर भी कर्मचारी मजदूरों की ओर से आ रहे कार्ड बांटने के दबाव से नई सरकारी गाइड लाइन के इंतजार में हैं। इधर, जिन असंगठित मजदूरों के हाथ में ये कार्ड हैं, वे यह सोच रहे है कि नई सरकार में इन कार्ड का क्या होगा।
वे जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा पाएंगे। यह सवाल उनके सामने बना हुआ है। फिलहाल यह तो तय है कि शिवराज की फोटोवाले सम्बल कार्ड कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में नहीं चलेंगे। यह सम्भव है कि इस योजना में बदलाव आ जाए और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को दूसरे तरीके से जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सकता है।

सम्बल की होड़ में 33 फीसदी आबादी
सम्बल पोर्टल के अनुसार जिले की 2011 की 20.80 लाख आबादी को इस योजना में मानक माना गया था। उसमें से 6.99 लाख असंगठित मजदूरों का पंजीयन किया गया था। इसके अलावा 25997 मजदूर के पंजीयन शेष रह गए थे। इनमें से 75 प्रतिशत ही कार्ड का वितरण हो पाया। शेष कार्ड नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों तथा पंचायतों में रखे
हुए हैं।

पंजीयन के दायरे में थे ये मजदूर
कृषि नियोजन में शामिल मजदूर, गृहिणी, सिलाई करनेवाले, मण्डी हम्माल, खाना बनाने वाले, प्राइवेट सुरक्षा सेवाओं में के कर्मचारी, कारीगर, शिल्पी, लुहार, बढ़ई, गारा बनाने, चाक बनाने, कुम्हार, मुख्य मजदूर, पम्प ऑपरेटर, मिक्सर चलाने वाले, रोलर चालक, बड़े यांत्रिकी कार्य जैसे भारी मशीनरी, पुल के कार्य आदि में लगे खलासी, चौकीदार, पत्थर कर्मकार समेत 77 कैटेगरी के मजदूरों को इस योजना में शामिल किया गया था।

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