डॉ. प्रियंका धुर्वे ने बताया कि जोंक थेरेपी चिकित्सा आचार्य सुश्रुत की सुश्रुत संहिता में वर्णित प्राचीन चिकित्सा है, जिसमें जोंक को प्रभावित स्थान पर लगाया जाता है, जहां से वह अशुद्ध रक्त को चूस कर बाहर निकालती है। साथ ही शुद्ध रक्त के परिवहन को बढ़ाती है। जोंक के लालास्त्राव में विभिन्न प्रकार के बायो एक्टिव एंजाइम्स होते हैं जैसे कि हीरुडीन एकैलीन, इन्हींबीटर ऑफ कैलीक्राइन
हिस्टामिन लाइक, सब्सटेंस हाइलु रोनीडेज, एंजाइम एकॉलेजिनेस जैसे थक्का रोधी एंजाइम्स होते हैं जो रक्त को पतला कर रक्त परिवहन को बढ़ाकर ऊतकों की हीलिंग में सहायक होते हैं। इसके अलावा जोंक के लालास्त्राव में कई संज्ञाहर दर्द व शोथ निवारक एंटीबैक्टीरियल एंजाइम्स जैसे एगलीन बदलीन आदि भी पाए जाते हैं जिनके द्वारा जोंक चिकित्सीय कार्य करती है।