Kavitasamvad: अबकी बार जरूर आना चाहे सवाल बनकर ही
छिंदवाड़ा.प्रसिद्ध लेखिका कवयित्री अनुपमा रावत गत दिवस छिंदवाड़ा प्रवास पर आई। यहां मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन की छिंदवाड़ा इकाई ने उनके सानिध्य में कविता संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया। पेंशनर्स सदन में हुए इस समागम में अनुपमा में अपनी कविता एक चि_ी आलिया के नाम का वाचन किया। उन्होंने पढ़ा- ईद हर बार ईद पर ही क्यों आती है,लेकर वह खूबसूरत शहर अपने साथ,वह शहर खूबसूरत था या आपका साथ,नहीं पता हमें,हमें इतना पता है कि उसका नशा अब भी तरोताजा है हमारे बीच, उस हींग की तडकऩ सा,जो हमारे लिए पकाई जा रही ,खास गट्टे की सब्जी की महक सा,आपकी रसोई से भर भर के आता था। अबकी बार ज़रूर आना,चाहे सवाल बनकर ही लेकिन आना ज़रूर,कि मैंने अब सारे जवाब ढूंढ लिए हैं। देश की वर्तमान स्थिति को अपनी गज़़ल नुमा कविता में समेटते हुए उन्होंने कहा देश आगे चले या जले किसे परवाह है इसकी,कि राहगीर सा बस अब धूप में तपते जाना है। उन्होंने गांधी को किसी ने नहीं मारा और अन्य कविताएं भी सुनाई।
अनुपमा प्रसिद्ध कवि भगवत रावत की सुपुत्री हैं। उपस्थित रचनाधर्मियों ने भगवत रावत की स्मृतियों को ताजा करते हुए उनकी कविताओं का पाठ भी किया। अनुपमा ने खुद अपने पिता की कटोरदान, जनता और वफादार शीर्षक से लिखी कविताएं पढ़ी। सुवर्णा दीक्षित, संगीता सिन्हा, श्रद्धा नेमा और रोहित रुसिया ने भी चुनिंदा कविताएं पढ़ी। वरिष्ठ साहित्यकार सुरेंद्र वर्मा, गोवर्धन यादव और मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन जिला इकाई छिंदवाड़ा के अध्यक्ष हेमेंद्र कुमार राय ने बरसों पहले छिंदवाड़ा प्रवास पर आए भगवत रावत के संस्मरण साझा किए। कार्यक्रम अध्यक्ष डब्ल्यूएस ब्राउन ने कहा कि अनुपमा रावत की कविताएँ उनके पिता भगवत रावत की तरह ही संवेदना से सराबोर हैं। उनका कविता पाठ करने का अंदाज अद्भुत है जो कविताओं को सीधे हृदय तक उतारता है। उन्होंने भगवत रावत की कविता करुणा का पाठ करते हुए कहा कि इस दुनिया में इन दिनों करुणा की बहुत जरूरत है। कार्यक्रम का संचालन शेफाली शर्मा ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संस्था से जुड़े साहित्यकार सदस्य मौजूद रहे।