बारिश और खुले मौसम के मिले-जुले इस सीजन में संक्रामक बीमारियां अधिक होने से अस्पताल के ४४ डॉक्टर और अन्य स्टाफ के पास इस समय औसतन ५० से १०० मरीज देखने और इलाज की जिम्मेदारी है। इसके अलावा ऑपरेशन और प्रसव में भी अपेक्षाएं अधिक हैं। मरीजों का इलाज फर्श पर करना पड़ रहा है। इसके चलते कोई किसी के इलाज से संतुष्ट है तो किसी को शिकायत बनी हुई है।
संतुष्टि का बिंदु केवल ५० फीसदी तक देखा जा सकता है। व्यवस्थागत रूप से अस्पताल के हर विभाग में समस्याएं मौजूद हैं। मरीज अधिकांशत: जरूरी सामान एवं दवाइयां न मिलने की शिकायत करते नजर आते हैं। उन्हें बाजार से खरीदकर इलाज कराना पड़ रहा है। डॉक्टर से बातचीत करो तो वे काम के बोझ और जरूरी सामान न मिलने की शिकायत करते नजर आते हैं। उनका कहना है कि अस्पताल के संसाधन में मरीज को देखकर दवाएं तो लिख रहे हैं।
मशीनों को सुधारने नहीं आ रहे इंजीनियर
अस्पताल में इस समय ब्लड बैंक में ब्लड की जांच करनेवाली सीबीसी मशीन बंद पड़ी है तो वहीं आईसीसीयू वार्ड में वेंटीलेटर भी खराब हो गया है। इसके अलावा ट्रामा यूनिट की ईसीजी मशीन भी काम नहीं कर रही है। इन मशीनों को सुधारने के लिए प्रबंधन ने कई बार कम्पनी इंजीनियरों को पत्र लिखे लेकिन अभी तक कोई भी सुधारने के लिए नहीं पहुंचा। इसकी जानकारी डिप्टी डायरेक्टर हेल्थ को पहुंचाई गई हैं। इसके चलते सेवाओं में असर पड़ रहा है।
रिपोर्ट पॉजीटिव, चला गया मरीज
अस्पताल में स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीज आ रहे हैं लेकिन इलाज के लिए ठहर नहीं पा रहे हैं। इसके चलते हाल ही में दो मरीजों की मौत हो गई। एक अनोखा मामला यह भी सामने आया कि उमरिया ईसरा के एक ७० साल के बुजुर्ग को यहां स्वाइन फ्लू संदिग्ध के रूप में भर्ती कराया गया था। उनकी रिपोर्ट जबलपुर से पॉजीटिव आई, तब तक वे अस्पताल से छुट्टी लेकर जा चुके थे। यहां की व्यवस्थागत खामी के चलते कोई भी मरीज इलाज पर विश्वास करने के लिए तैयार नहीं है।
एक सप्ताह में आए मरीज
तारीख ओपीडी वार्ड भर्ती
7 सितम्बर 1362 171
8 सितम्बर 1219 164
9 सितम्बर १३६१ १४८
10 सितम्बर 223 135
11 सितम्बर 1512 199
12 सितम्बर 1317 152
13 सितम्बर 1280 181 & जिला अस्पताल में बंद तीन मशीनों को सुधारने के लिए इंजीनियर नहीं आ रहे हैं। हमने डिप्टी डायरेक्टर को पत्र लिखा है। इसके अलावा संक्रामक बीमारी से पीडि़तों की संख्या अस्पताल में अधिक है। डॉक्टर हरसंभव इलाज की कोशिश कर रहे हैं।
डॉ.सुशील दुबे, आरएमओ जिला अस्पताल।