मरीज के हाथ की हड्डी में फै्रक्चर आने पर उसे उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती किया है। इस बीच डॉक्टर ने दो-दो ऑपरेशन करने की बात कह मरीज को कुछ खाने-पीने से मना कर दिया तथा शाम तक ऑपरेशन नहीं किया गया। वहीं तीसरी बार सोमवार को पुन: ऑपरेशन करने का बोला गया और दिनभर मरीज को भूखा रखने के बावजूद ऑपरेशन नहीं किया गया। साथ ही निजी हॉस्पिटल में मरीज को लेकर जाने के लिए दबाव बनाया गया।
रॉड और मशीन खराबी के नाम पर गुमराह
इन दिनों सर्जिकल विभाग में जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों द्वारा निजी प्रेक्टिस को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से वार्ड में भर्ती मरीजों को गुमराह किया जा रहा है। कभी सीऑम मशीन खराब तो कभी सर्जिकल रॉड उपलब्ध न होना बताकर मरीज को गुमराह किया जा रहा है। उक्त प्रकरण में एेसा ही मामला देखने को मिला है।
परिजन के अनुसार मरीज के फै्रक्चर में सुधार के लिए रॉड लगना है, जो कि अस्पताल में उपलब्ध नहीं होने से लोगों को बाजार से खरीदना पड़ता है। वहीं डॉक्टरों की बात नहीं मानने पर मरीजों पर उचित ध्यान नहीं दिया जाता है। प्रशासन और चिकित्सा अधिकरियों को इसकी सूचना होने पर भी कार्रवाई नहीं होती है।