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यहां के टाइगर को नहीं लगी किसी की नजर

locationछिंदवाड़ाPublished: Jul 13, 2018 11:27:03 am

Submitted by:

manohar soni

पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ की डेढ़ साल की रिपोर्ट से मिले संकेत,पड़ोसी सिवनी,बालाघाट में ज्यादा मौत दर्ज

tiger

Tigress T-22 of Sanjay Gandhi Tiger Reserve turn Aggressive


छिंदवाड़ा.शुक्र है..शिकारियों की निगाहों में पेंच नेशनल पार्क और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बीच छिंदवाड़ा से गुजरता कारीडोर नहीं आ पाया है। इससे इन जंगलों में चहलकदमी करनेवाले टाइगर ज्यादा सुरक्षित है। इसके अलावा दक्षिण की सिल्लेवानी की घाटी हो या फिर अमरवाड़ा और हर्रई के सघन जंगल में भी एक अपवाद को छोड़कर कहीं भी शिकार दर्ज नहीं हुआ है।
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में इसके संकेत मिले हैं। रिपोर्ट में एक घटना को छोड़कर कहीं भी छिंदवाड़ा का जिक्र नहीं किया गया है। पड़ोसी जिले सिवनी और बालाघाट में जरूर शिकार की ज्यादा घटनाएं दर्ज हुई है। इस रिपोर्ट में एक जनवरी 2017 से 30 जून 2018 तक पूरे प्रदेश के जंगलों में टाइगर की मौत का विवरण दर्ज किया गया है। जिसमें छिंदवाड़ा से दक्षिण वनमण्डल में केवल 21 जुलाई2017 में बाघ की खाल जब्त करने के मामले में इस एक वन्य प्राणी के शिकार का उल्लेख किया गया है। इसके अलावा पड़ोसी जिले सिवनी,बालाघाट,मंडला और होशंगाबाद से जुड़े पेंच,कान्हा और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में हुई 19 टाइगर की मौतें दर्ज की गई है। इनमें कहीं टाइगर का मृत शव मिला है तो कहीं इसका शिकार किया गया है। बैतूल समेत प्रदेश के अन्य जिलों का भी जिक्र किया गया है।
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शिकारियों की निगाहों से बचा जिला
रिपोर्ट के आंकड़ों से साफ है कि पड़ोसी जिलों की तुलना में छिंदवाड़ा में इन वन्य प्राणियों के शिकारी ज्यादा सक्रिय नहीं है। जबकि इस जिले की सीमा पेंच और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बीच से जुड़ती है,जहां से दो पार्क के टाइगर एक कारीडोर से गुजरते हैं। इसके अलावा दक्षिण में सिल्लेवानी घाटी से महाराष्ट्र की अंतर्राज्यीय सीमा तक टाइगर की मौजूदगी को देखा जा सकता है। दूसरे जिलों की तुलना में छिंदवाड़ा को इस वन्य प्राणी के लिए अधिक सुरक्षित माना जा सकता है।

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वन्य प्राणी गणना में मिले थे पदचिन्ह
इसी साल 2018 में हुई वन्य प्राणियों की गणना के अनुसार जिले में एक दर्जन से अधिक बाघ होने का अनुमान है। पश्चिम और दक्षिण वनमण्डल के जंगलों में इनके पगचिन्ह और विष्ठा को दर्ज किया गया था। राष्ट्रीय वन्य जीव संस्थान देहरादून से फाइनल आंकड़ों की प्रतीक्षा है। तब इसकी गणना के वास्तविक अंक पता लग सकेंगे।

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टाइगर की मौतों के आंकड़ों में ये हैं खास
वनमण्डल/पार्क दिनांक
कान्हा टाइगर रिजर्व 11.3.2017
वमं उत्तर बैतूल 22.4.2017
वमं दक्षिण बालाघाट 19.5.2017
वमं दक्षिण छिंदवाड़ा 21.7.2017
कान्हा टाइगर रिजर्व 29.9.2017
वमं दक्षिण बालाघाट 19.4.2017
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व 5.5.2017
पेंच टाइगर रिजर्व 25.9.2017
पेंच टाइगर रिजर्व 13.10.2017
कान्हा टाइगर रिजर्व 25.12.2017
बरघाट परियोजना मण्डल 13.1.2018
वमं उत्तर बालाघाट 3.1.2018
लामटा परियोजना मण्डल 14.3.2018
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व 18.1.2018
कान्हा टाइगर रिजर्व 13.1.2018
कान्हा टाइगर रिजर्व 29.1.2018
वमं दक्षिण बालाघाट 31.3.2018
कान्हा टाइगर रिजर्व 6.4.2018
कान्हा टाइगर रिजर्व 18.4.2018
वमं होशंगाबाद 11.6.2018

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