scriptशौचालय डे: बस ये सुधर हो जाए तो स्वच्छता में लग जाए चार चांद | Toilet Day: Just when it improves, cleanliness starts in four moons | Patrika News

शौचालय डे: बस ये सुधर हो जाए तो स्वच्छता में लग जाए चार चांद

locationछिंदवाड़ाPublished: Nov 19, 2019 11:18:11 am

Submitted by:

manohar soni

स्वच्छ भारत मिशन में शहरी और ग्रामीण इलाकों में 3.50 लाख से ज्यादा घरों में बने शौचालय
 

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छिंदवाड़ा/लगातार पांच साल से चलाए जा रहे स्वच्छ भारत मिशन से शौचालय के उपयोग पर शहरी और ग्रामीण इलाकों की मानसिकता में बदलाव आया है। इस दौरान सरकारी स्तर पर करीब 3.50 लाख परिवारों के घरों में शौचालय बनाए गए हैं। एक सर्वेक्षण में नई पीढ़ी के कदमताल से इसका 90 फीसदी तक उपयोग होने लगा है। शेष दस प्रतिशत असफलता में तथाकथित बुजुर्गो की बाहर शौच की मानसिकता बाधक बन रही है। शहरी क्षेत्र में अतिक्रमण कर बन रही झुग्गी झोपडिय़ां इस मिशन के लिए चुनौती है। वल्र्ड शौचालय डे 19 नवम्बर की पूर्व संध्या पर इस संवेदनशील विषय पर किए गए आंकलन में यह तथ्य सामने आया है।
जिले की 22 लाख की आबादी के घरों में शौचालय का सर्वेक्षण और निर्माण की शुरुआत दो अक्टूबर 2014 को हुई थी। इस साल 2019 को अभियान को पूरे पांच साल हो गए। इस दौरान छिंदवाड़ा शहर में सरकारी स्तर पर 16552 शौचालय घरों में बनवाए गए तो वहीं ग्रामीण स्तर पर यह आंकड़ा 339951 घरों तक पहुंच गया है। जिला पंचायत द्वारा समग्र आईडी के आधार पर 85 सौ नए शौचालय विहीन घरों को चिन्हित किया गया है। इन घरों को अगली कार्ययोजना के लिए रखा गया है।
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शहर में झुग्गी झोपड़ी तो गांव में कहीं रखे कंडे
शौचालय निर्माण की सारी सफलता उपयोग की मानसिकता पर निर्भर है। शहर में कहीं भी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बन रही झुग्गी झोपडिय़ों के लोग खुले में शौचालय करने जा रहे हैं। जामुनझिरी,मोहरली में बनी झोपड़ी में इसे देखा जा सकता है। नगर निगम द्वारा 14 सामुदायिक शौचालय भी बनाए गए। फिर भी ओडीएफ डबल प्लस की ओर से बढ़ रहे कदम में ये बाधा है। ग्रामीण इलाकों में नई पीढ़ी शौचालय को स्वीकार कर रही है तो कहीं-कहीं बुजुर्ग दम्पत्ति खुले में जाने की मानसिकता को बदल नहीं पाए हैं। ऐसे घरों में शौचालय के अंदर कंडा या फिर कबाड़ भी रखा है। पिछले साल उनकी निगरानी के लिए टीम भी गठित की गई थी और जुर्माना भी लगाया गया था।
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ओडीएफ डबल प्लस से नहीं आया बजट
पिछले साल 2018 में ही व्यक्तिगत और सामुदायिक शौचालय निर्माण से नगर निगम को ओडीएफ डबल प्लस का दर्जा मिल चुका है। इसके चलते सरकार ने वर्ष 2019-20 में व्यक्तिगत शौचालय निर्माण के लिए न लक्ष्य दिया और ना ही इसका बजट दिया है। निगम सहायक यंत्री अशोक पाण्डे बताते हैं कि निगम क्षेत्र में 16 हजार 500 शौचालय का निर्माण पूरा होने से काफी हद तक जागरुकता आई है। ग्रामीण स्तर पर 85 सौ परिवारों के घरों में शौचालय न होना सत्यापित हुआ है। इसके बजट का इंतजार बना हुआ है।
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अब ये नवाचार: शौचालय में लगाएंगे लाइट
ग्रामीण इलाकों में निर्मित शौचालयों में अब लाइट लगाने की कवायद चल रही है। इससे अंधेरे में भी लोग इसका उपयोग कर सकेंगे। जिला पंचायत के स्वच्छता मिशन परियोजना अधिकारी सुधीर कृषक का कहना है कि स्वच्छता ग्राहियों की मदद से शौचालयों को रोशन करने का बीड़ा उठाया गया है। इसके अलावा जागरुकता के लिए दीवार पेंटिंग भी कराई गई है। पंचायत स्तर पर तीन लाख से ज्यादा शौचालयों का निर्माण कराया गया है।
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इनका कहना है..
शहर में व्यक्तिगत और सामुदायिक शौचालय निर्माण में नगर निगम ओडीएफ डबल प्लस का दर्जा हासिल कर चुका है। इस उपलब्धि के साथ अब हम स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में देश में प्रथम स्थान पाने प्रयासरत है।
-इच्छित गढ़पाले,आयुक्त नगर निगम।

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