तेरह साल पहले बंद हो गई सपनि बसें
पुराने सपनि कर्मचारी बताते हैं कि वर्ष 2005 में आई बाबूलाल गौर सरकार द्वारा सडक़ परिवहन निगम को बंद करने का निर्णय लिया गया। वर्ष 2007 आते-आते सभी बसें डिपों में खड़ी हो गईं और इसका संचालन पूरी तरह बंद हो गया। छिंदवाड़ा में इन बसों की संख्या सौ के आसपास थी। पिछले साल 2019 में इन बसों के कबाड़ को नीलाम भी किया गया। कर्मचारियों के अनुसार ये सेवा चालू होती तो बिना घाटे के परवाह किए यात्रियों को पूरे नियम पालन के साथ गंतव्य तक पहुंचातीं।
निजी ऑपरेटर अड़े, 30 सितम्बर तक खड़ी रखेंगे बसें
छिंदवाड़ा बस ऑपरेटर एसोसिएशन की बैठक मंगलवार को बस स्टैण्ड में हुई। इसके बाद एसोसिएशन ने जिला परिवहन अधिकारी को पत्र लिखकर बताया कि वे जिले की सभी यात्री बसें एक जुलाई से 30 सितम्बर तक खड़ी रहेंगी। एसोसिएशन अध्यक्ष रोमी राय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश मिगलानी और सचिव जसपाल नैय्यर ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में यात्री बसों का संचालन मुश्किल है। वाहनों के खड़े होने से उनकी वित्तीय स्थिति भी दयनीय हो गई है। कई बस मालिकों का बीमा एवं वाहनों की फिटनेस अवधि भी समाप्त हो गई है। इस स्थिति में वे वाहनों की नॉनयूज के लिए निर्धारित फार्म-के नहीं भर सकते और ना ही अग्रिम कर भुगतान
कर पाएंगे।
बसें न मिलने पर चार हजार रुपए दे रहे किराया
बसों का संचालन शुरू न होने से जरूरतमंद लोगों को नागपुर तक चार हजार रुपए का किराया टैक्सी या स्पेशल वाहन में देना पड़ रहा है। इसी तरह सिवनी, जबलपुर, भोपाल और इंदौर का किराया भी एक हजार रुपए से लेकर दस हजार रुपए तक पहुंच गया है। जिन्हें इलाज कराने, मृत्यु, विवाह या फिर अपने परिजन से मिलना अनिवार्य है। उन्हें टैक्सी स्टैण्ड में पहुंचकर इसे देना पड़ता है। बसों के शुरू न होने की कीमत हर किसी को चुकानी पड़ रही है।
प्रयासरत हैं
सिटी बस संचालन के लिए ऑपरेटर एजेंसी से बात हुई है। तीन जुुलाई से बसें शुरू हो सकती हैं। इसके लिए नगर निगम प्रयासरत है।
-हिमांशु सिंह, आयुक्त नगर निगम