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यह दिन है कई मायने में महत्वपूर्ण, आप भी जानें

locationछिंदवाड़ाPublished: May 08, 2019 12:04:15 pm

Submitted by:

Rajendra Sharma

कुबेर को इसी दिन मिला था खजाना

chhindwara

जाने भगवान परशुराम की पूजा अर्चना करने से क्या मिलता हैं साथ ही उनकी चालीसा और आरती करें।

छिंदवाड़ा. सर्व जागृृति गण परिषद के अंतर्गत सजग स्व-साधना एवं अखंड देश भक्ति-जन जागृृति अभियान से जुड़े लोगों ने मंगलवार को अक्षय तृतीय का पर्व सामूहिक रूप से मनाया। संयोजक कृपाशंकर यादव ने बताया कि अक्षय तृृतीया के पर्व पर सजग कार्यालय इएलसी हॉस्टल में सुबह आठ से नौ बजे संगोष्ठि का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि अक्षय तृृतीया के ही दिन भगवान परशुराम का अवतरण हुआ। आज ही के दिन मां गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था। महर्षि परशुराम का एवं मां अन्नपूर्णा का जन्म आज ही के दिन हुआ था। द्रोपदी को चीरहरण से भगवान कृष्ण ने आज ही बचाया था और कृष्ण और सुदामा का मिलन भी हुआ था। कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था। सतयुग और त्रेता युग भी आज शुरू हुआ था। ब्रम्हा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था।
आज से बद्रीनाथ के खुलते हैं कपाट

प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण का कपाट आज ही के खुलते हैं। वहीं प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव भगवान ने 13 महीने के कठिन उपवास (बिना जल का तप) का पारणा (उपवास छोडऩा) इक्षु (गन्ने) के रस से किया था। यही वजह है कि आज भी जैन समाज के बहुत से लोग वर्षी तप के पश्चात उपवास छोड़ते हैं।
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