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Trouble: सोचा न समझा ले लिया दाखिला, अब कॉलेज के लगा रहे चक्कर

locationछिंदवाड़ाPublished: Sep 19, 2019 12:32:11 pm

Submitted by:

ashish mishra

नवप्रवेशित विद्यार्थी विषय एवं संकाय बदलने को लेकर चक्कर लगा रहे हैं।

Trouble: सोचा न समझा ले लिया दाखिला, अब कॉलेज के लगा रहे चक्कर

Trouble: सोचा न समझा ले लिया दाखिला, अब कॉलेज के लगा रहे चक्कर

छिंदवाड़ा. कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया संपन्न होने के बाद अब नवप्रवेशित विद्यार्थी विषय एवं संकाय बदलने को लेकर चक्कर लगा रहे हैं। दरअसल विद्यार्थियों ने दाखिले के समय जल्दबाजी में विषय या फिर दूसरे संकाय का चयन कर लिया, लेकिन अब उन्हें भविष्य को देखते हुए जरूरी विषयों की महत्ता समझ में आ रही है। ऐसे में वे कॉलेजों के चक्कर लगा रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नवप्रवेशित विद्यार्थियों को संकाय, विषय, समूह परिवर्तन के लिए 19 दिसंबर तक का समय दिया गया है। आज विद्यार्थियों के पास आखिरी मौका होगा। उच्च शिक्षा विभाग के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी द्वारा कॉलेजों को भेजे गए निर्देश में कहा गया है कि मार्गदर्शिका के परिपालन में कॉलेज स्तर पर प्रवेश नियम एवं मार्गदर्शी सिद्धांत 2019-20 के अनुसार नियमित प्रवेश प्रक्रिया समाप्ति के पश्चात 19 सितंबर तक प्रवेशित कॉलेज में ही पात्रता अनुसार विषय, पाठ्यक्रम, संकाय नियमानुसार परिवर्तन किया जाए। प्राचार्य नियमानुसार उपलब्ध रिक्त स्थानों पर पात्रता एवं गुणानुक्रम का उल्लंघन न होने की शर्त पर केवल प्रवेशित विद्यार्थियों का ही विषय परिवर्तन करें।
कॉलेजों नहीं कर रहे बदलाव, सता रहा डर
कुछ कॉलेजों द्वारा नवप्रवेशित विद्यार्थियों के विषय या फिर संकाय बदलने को लेकर आनाकानी भी की जा रही है। दरअसल उच्च शिक्षा विभाग ने स्नातक एवं स्नातकोत्तर में न्यूनतम विद्यार्थियों की संख्या निर्धारित कर रही है। इस मापदंड पर अगर कॉलेज खरा नहीं उतरा तो फिर उस संकाय की मान्यता खत्म हो जाएगी। ऐसे में कॉलेज हर विषय में उच्च शिक्षा विभाग के मापदंड के अनुसार विद्यार्थियों की संख्या रखना चाहता है।
बीते वर्ष विवि ने परीक्षा से किया था इंकार
इस संबंध में कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय द्वारा विषय समूह निर्धारित किया गया। उसी के अनुसार ही विद्यार्थियों को विषय चयन करना है। बीते वर्ष ऐसा न करने पर विश्वविद्यालय ने परीक्षा कराने से इंकार कर दिया था। इस वर्ष ऐसी स्थिति न बने इसलिए हम विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार ही कार्य कर रहे हैं।

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