कांच मंदिर गुलाबरा में चल रही भागवतकथा के सातवें दिन हरदा से आए नारायणाचार्य जी ने रुकमणी विवाह प्रसंग का विस्तार से सुनाया।
छिंदवाड़ा. कांच मंदिर गुलाबरा में चल रही भागवतकथा के सातवें दिन हरदा से आए नारायणाचार्य जी ने रुकमणी विवाह प्रसंग का विस्तार से सुनाया। शनिवार को दोहपर 1 बजे से शुरु हुई कथा में उन्होंने कहा िक रुखमणी राजा भीष्मक की कन्या थी जो स्वयं लक्ष्मी का अवतार थी। इनके पांच भाई थे जिसमें रुखमैया महान दुष्ट और अधर्मी था।रुकमणी श्रीकृष्ण को अपना पति मानकर विश्वास के साथ आराधना करती थी। रुखमैया ने बहन का रिश्ता चंदेरी के राजकुमार शिशुपाल के साथ तय कर दिया।
रुखमैया को पता था कि कृष्ण इस विवाह में व्यवधान डालेंगे इसलिए उसने बारात को एक दिन पहले ही बुला लिया। रुकमणी ने श्रीकृष्ण को संदेश भेजा एक ब्राह्मण के हाथ। बुजुर्ग व्यक्ति कैसे पहुंचे कृष्ण के पास। वे भगवान का नाम लेकर निकले। वे एक कदम चलते तो भगवान श्रीकृष्ण उसे सौ कदम आगे पहुंचा देते। भगवान कृष्ण ने संदेश पढ़ा और रुकमणी को विवाह स्थल से अपने साथ ले गए और द्वारका में विधि विधान से उसके साथ विवाह किया।