मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 10 से15 पैथालॉजी ही वैधानिक रूप से पंजीकृत हैं, जबकि जिले मेेंं करीब दो दर्जन पैथालॉजी का संचालन हो रहा है। इसकी वजह से मरीज के ब्लड जांच की गुणवत्ता और मॉनिटरिंग प्रभावित होती है। अवैध पैथालॉजी संचालकों द्वारा शासन की गाइडलाइन का भी पालन नहीं किया जाता है, जिसमें निर्धारित योग्यता अथवा पंजीयन होना आवश्यक होता है।
इसके अलावा पैथालॉजी के संचालन की तीन साल की वैधता, मप्र चिकित्सा परिषद का पंजीयन होना तथा निर्धारित शुल्क के साथ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में पंजीयन होना अनिवार्य है।