Unique farewell ceremony in college
छिंदवाड़ा. जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित स्कंदगुप्त नाटक से देवसेना गीत ‘आह ! वेदना मिली विदाई, मंैने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई’, नागार्जुन की रचना ‘कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास, कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास’ तथा सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की रचना ‘बांधो ना नाव इस ठाव बंधु, पूछेगा सारा गांव बंधु’ आदि रचनाओं के पाठ के साथ शासकीय स्वशासी पीजी कॉलेज छिंदवाड़ा के हिंदी विभाग में एमए पूर्वाद्र्ध के विद्यार्थियों ने एमए उत्तराद्र्ध के छात्र छात्राओं को बुधवार को दिनेश साहू के संयोजन में आयोजित समारोह के दौरान विदाई दी।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष हिंदी डॉ. लक्ष्मीचंद ने सभी छात्र-छात्राओं को आशीर्वचन से अनुग्रहित करते हुए कहा कि हम अगर हिंदी साहित्य के विद्यार्थी हैं तो हमें हिंदी को ही आत्मसात करना चाहिए, हिंदी का कार्यक्रम हो तो हमें हिंदी पर बल देना चाहिए तथा ऐसे अवसरों पर हिंदी का प्रयोग करते समय अन्य भाषाओं के शब्दों का प्रयोग करने से हमें बचना चाहिए। डॉ. मिथिलेश अग्निहोत्री ने लोकगीत के माध्यम से छात्रों को प्रेरित किया। डॉ. सुशील ब्यौहार ने कहा कि हमें अगर जीवन में सफल होना है तो सर्वप्रथम हमें संकल्प लेना चाहिए और लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया का सदुपयोग पढ़ाई के लिए करने की बात कही। डॉ. लक्ष्मीकांत चंदेला ने गीत प्रस्तुत करते हुए सभी छात्रों को सफल जीवन की शुभकामनाएं दीं। डॉ. टीकमनी पटवारी ने अपने आशीर्वचनों से छात्रों को अपने जीवन में सफल होने के लिए प्रेरित किया तथा कहा कि समय ने हमें अवसर प्रदान किया है, हमें समय पर योग्यता और परिश्रम को मिलाकर लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर होना है। डॉ. सीमा सूर्यवंशी ने बताया कि लक्ष्य निर्धारित करके सफलता के मार्ग पर चल सकते हैं, जिस प्रकार अर्जुन ने पक्षी कि आंख को लक्ष्य करके ही तीर चलाया और लक्ष्य में सफल हुए, उसी प्रकार हमें भी सिर्फ अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। डॉ. सागर भानोत्रा ने सभी छात्रों को सफल जीवन एवं लक्ष्य प्राप्ति के लिए शुभकामनाएं दीं। छात्र इंद्रेश धुर्वे ने जयशंकर प्रसाद रचित स्कंदगुप्त नाटक से देवसेना गीत ‘आह! वेदना मिली विदाई, मैंने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई’, नागार्जुन की रचना ‘कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास, कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास’ तथा सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की रचना ‘बांधो ना नाव इस ठाव बंधु, पूछेगा सारा गांव बंधु’ आदि रचनाओं का कविता पाठ किया। कार्यक्रम को मनीषा, अमित मालवीय, अंकुश साहू, नरगिस बानो आदि ने भी संबोधित किया। कमलेश बेलवंशी ने ‘करते हैं विदाई जाओ खुशी से, जहां तुम रहोगे हमें न भुलाना’ विदाई गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन दिनेश कुमार साहू ने किया। एमए हिंदी उत्तराद्र्ध के सभी छात्र-छात्राओं का पूर्वाद्र्ध के छात्र-छात्राओं ने तिलक लगाकर स्वागत किया एवं सभी को उपहार प्रदान किए। इस अवसर पर नीरज साहू, राजेश मालवी, देवीराम राकेसिया, कॉजोल पटेल, दिनेश साहू, प्रदीप, मनोज, शुभम, संजय, हरिकृष्ण, नीलेश, कमलेश, हरिओम, संजू, नीति, सोनम, कांति, विनीता, नीतू, उदय, इंद्रेश, अनिल, संतकुमार, ब्रजेश, संदीप, सहपाल, संध्या आदि का कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग रहा।
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