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अनदेखी: रेत-सीमेंट के दाम आसमान पर,फिर भी नहीं बढ़ा यह अनुदान

locationछिंदवाड़ाPublished: Sep 11, 2019 11:22:49 am

Submitted by:

manohar soni

शहरी क्षेत्र में अब 12 प्रतिशत जीएसटी का जुड़ा प्रावधान,लागत ज्यादा होने से गुणवत्ता प्रभावित
 

Training given to Village Development Officer in Bhatewar

swachh bharat mission

छिंदवाड़ा.छह साल में रेत-सीमेंट,ईट और गिट्टी के दाम आसमान पर पहुंच गए लेकिन सरकार ने शहरी घरेलू शौचालय का अनुदान नहीं बढ़ाया है। उस पर 12 फीसदी जीएसटी काटने का प्रावधान अलग कर दिया है। मैदानी में लागत ज्यादा आने से निर्माण एजेंसियों को मुश्किल जा रही है तो वहीं गुणवत्ता अलग प्रभावित हो रही है।
नगर निगम की मानें तो वर्ष 2012 से स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहरी वार्डों में घरेलू शौचालयों के निर्माण शुरू कराए गए थे। उस समय एक घरेलू शौचालय की लागत 12600 रुपए दी गई थी। इसके बाद वर्ष 2013 में इस लागत को 13600 रुपए किया गया। तब से ही इसी दर पर अनुदान मिल रहा है। जबकि छह साल बाद एक शौचालय की लागत कम से कम 17 हजार रुपए होना चाहिए। इस दौरान सीमेंट,रेत,गिट्टी और ईट के दाम लगभग दोगुना होने की स्थिति में आ गए। लागत वृद्धि के लिए समय-समय पर केन्द्र और राज्य सरकार का ध्यान भी दिलाया गया। अभी तक इस लागत दर को परिवर्तित नहीं किया गया है। इससे निर्माण एजेंसियां मुश्किल से काम कर रही है। निर्माण में 12 फीसदी जीएसटी काटने से 13 हजार 600 रुपए की राशि करीब 12 हजार रुपए हो जाती है। इसके चलते किसी भी हितग्राही का शौचालय गुणवत्ता युक्त नहीं बन पाता। साल-दो साल में क्षतिग्रस्त होने लगता है। जबकि एक साधारण घर में लोग शौचालय बनवाते हैं तो उन्हें 25 हजार रुपए से अधिक लागत आती है। निगम अधिकारी बताते हैं कि छह साल में 16 हजार 52 शौचालय बनाए जा चुके हैं। शेष 500 शौचालयों का निर्माण शेष रह गया है।
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इनका कहना है..
स्वच्छ भारत मिशन में शहरी क्षेत्र में बनाए जा रहे शौचालय का अनुदान 13 हजार 600 रुपए निर्धारित है। इसकी बढ़ती लागत को देखते हुए अनुदान वृद्धि के आदेश का इंतजार किया जा रहा है।
-अशोक पाण्डे,सहायक यंत्री,नगर निगम।

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ग्रामीण इलाकों में 12 हजार की लागत में बनाना और मुश्किल
स्वच्छ भारत मिशन में जैसे शहरी शौचालयों के हाल है,उससे कमतर ग्रामीण इलाकों के होंगे। यहां भी पिछले छह साल से हितग्राहियों को शहर से कम 12 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। इस अनुदान राशि से शौचालय बनाना मुश्किल हो रहा हैं क्योंकि रेत,सीमेंट,गिट्टी और ईंट के दाम पहले की तुलना में दोगुने हो गए हैं। सरकार ने ग्रामीण शौचालयों की राशि में भी वृद्धि नहीं की है। इससे पंचायतों में शौचालयों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। जिला पंचायत की माने तो जिले भर के गांवों में अभी तक 3 लाख 26 हजार 419 व्यक्तिगत शौचालय बनाए गए हैं।
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