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दिल्ली तक पहुंची छिंदवाड़ा की आवाज
इस बकरलिप परियोजना में बजट न होने से ग्रामीणों की आजीविका प्रभावित होने का मामला भोपाल और दिल्ली तक पहुंचा। सीसीएफ यूके सुबुद्धि ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय दिल्ली के अधिकारियों से चर्चा की और उनसे परियोजना नियमित रखने और उससे ग्रामीणों को होने वाले फायदे भी गिनवाए। अभी तक दिल्ली से कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिले हैं। सीसीएफ का कहना है कि इस परियोजना को निरंतर जारी रखा जाए तो टाइगर रिजर्व से लगते गांवों के लोगों को वैकल्पिक रोजगार के साधन उपलब्ध कराने में आसानी होती। फिलहाल इस परियोजना का कार्यकाल अगले साल २०१८ में समाप्त हो रहा है। फिर भी हम इसको लेकर पॉजीटिव है।
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