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तो बदबूदार पानी से मुक्त हो सकता है शहर

locationछिंदवाड़ाPublished: Apr 05, 2019 11:51:55 pm

Submitted by:

prabha shankar

निर्माण एजेंसी के कर्ताधर्ताओं को निगम बुलाया, नए सिरे से प्लान की कवायद तेज

Monthly Report of Pollution Control Board

Monthly Report of Pollution Control Board

छिंदवाड़ा. शहरी जमीन में दफन 45 करोड़ रुपए की जल आवर्धन योजना की पाइपलाइन को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं। नगर निगम के नोटिस पर निर्माण एजेंसी के कर्ताधर्ताओं ने गुरुवार को कार्यपालन यंत्री और जलप्रदाय विभाग के अधिकारियों से विचार-विमर्श किया। इस दौरान यही तथ्य सामने आया कि चार साल पहले बिछाई गई पाइपलाइन सडक़ निर्माण में दब गई है। इन सडक़ों को पुन: खोदकर पाइपलाइन के सिरे तलाशने होंगे, तभी शहर को सड़ी-गली पाइप लाइन से मिल रहे गंदे-बदबूदार पानी से मुक्ति दिलाई जा सकेगी।
यहां बता दें कि वर्ष 2011 में छिंदवाड़ा शहर की 57.32 करोड़ रुपए की जल आवर्धन योजना को मंजूर किया गया था। इसके बाद इसके टेण्डर 45.29 करोड़ रुपए में आइएचपी प्राइवेट लिमिटेड मुम्बई को दिए गए।
इस कम्पनी ने इंटकवेल एवं पम्प हाउस, रॉ वाटर राइजिंग मेन, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट 15.75 एमएलडी, क्लीयर वॉटर राइजिंग पम्पिंग मेन का काम पूरा किया वहीं सिविल लाइन, पीजी कॉलेज झुग्गी, सुकलूढाना और जेल बगीचा में पेयजल टंकी का निर्माण किया। फिर शहर के वार्डों में पाइपलाइन को बिछाया।
इसके बाद घरों में पानी के मीटर भी लगाए गए। इसके बाद काम अटक गया है। इस बीच पक्की सडक़ों के निर्माण के चलते ये पाइपलाइन जगह-जगह दब गई है। इससे डिस्ट्रीब्यूशन पाइपलाइन और पानी टंकी के बीच कनेक्शन और शिफ्टिंग का काम नहीं होने से इस योजना का लाभ पूरे शहर को नहीं मिल पाया गया है।नतीजा यह है कि शहर के ज्यादातर इलाकों को 50 साल पुरानी पाइपलाइन से गंदा-बदबूदार पानी पीने मजबूर होना पड़ रहा है।

नोटिस पर आए एजेंसी के कर्मचारी
इस योजना को देख रही निर्माण एजेंसी आइएचपी के कर्मचारी नगर निगम के नोटिस पर गुरुवार को छिंदवाड़ा पहुंचे और उन्होंने निगम के कार्यपालन यंत्री ईश्वर सिंह चंदेली और जलप्रदाय विभाग के अधिकारियों से विचार-विमर्श किया। अधिकारियों ने कहा कि उन्हें हर हाल में डिस्ट्रीब्यूशन पाइपलाइन को पानी टंकी से जोडकऱ उपभोक्ताओं तक पानी पहुंचाना होगा, तभी उनका बकाया राशि कंा भुगतान होगा। यह राशि करीब दस करोड़ रुपए बताई गई है। इस पर एजेंसी के कर्मचारियों ने विचार-विमर्श की बात कही है।

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