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पाताल में पहुंचा पानी

locationछिंदवाड़ाPublished: May 24, 2022 09:37:40 pm

Submitted by:

Rahul sharma

तपते सूरज और प्रचंड़ गर्मी की वजह से मोहगांव इलाके में लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। सरपा नदी पूरी तरह सूख गई है। भूमिगत जल स्तर भी गिर गया है। पानी पाताल में पहुंच गया है। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी मुंगनापार, नद्देवानी क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को झेलनी पड़ रही है। बैल बाजार में सैकड़ों मवेशी आते हैं। इनके लिए भी पानी की व्यवस्था करना चुनौती है। वन्यप्राणी भी पानी के लिए भटक रहे हैं। सौसर ब्लॉक की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी प्राकृतिक जल संसाधनों के भरोसे है।

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water reached in patal

छिन्दवाड़ा/ मोहगांव. तपते सूरज और प्रचंड़ गर्मी की वजह से मोहगांव इलाके में लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। सरपा नदी पूरी तरह सूख गई है। भूमिगत जल स्तर भी गिर गया है। पानी पाताल में पहुंच गया है। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी मुंगनापार, नद्देवानी क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को झेलनी पड़ रही है। बैल बाजार में सैकड़ों मवेशी आते हैं। इनके लिए भी पानी की व्यवस्था करना चुनौती है। वन्यप्राणी भी पानी के लिए भटक रहे हैं। सौसर ब्लॉक की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी प्राकृतिक जल संसाधनों के भरोसे है। यहीं से जलापूर्ति होती है। यही वजह है कि गर्मी के चार माह बमुश्किल गुजरते हैं। पिछले साल अच्छी बारिश के बाद नदी-नालों में जनवरी तक तो पानी की कमी नहीं रही पर फ रवरी में पानी सूखना शुरू हो गया। मोहगांव से मुंगनापार, घोगरीखपा मार्ग पर नदी-नाले सूखे पड़े हैं। जगह-जगह बने स्टापडेम से नदी -नालों में पानी की किल्लत हो गई है।गांवों में पानी के लिए लगाए गए हैंडपंप भी नकारा साबित हो रहे हैं। पवार कॉलोनी में हैंडपंप दम तोडऩे लगे हैं। यह कॉलोनी गांव से एक किमी दूरी पर है गांव में नालों का पानी आता है लेकिन यहां के लोगों को पैसा एकत्रित कर एक निजी कुएं से पानी खरीद कर पी रहे हैं। नदी-नालों के सूखने से वन्यप्राणी भी भी भटकने को मजबूर हैं। नाला व तलैया पहले ही सूख चुकी हैं। पानी की तलाश में वन्यप्राणी आबादी की ओर आने लगे हैं। पिछले दिनों मुंगनापार गांव के पवार ढाना टोले में एक लकड़बग्घा घुस आया। उसने एक बकरी को घायल कर दिया था। पिछले दिनों जंगल में लगी आग की वजह से वन्य प्राणी प्रभावित हुए हैं। इधर ग्रामीण अपने मवेशियों को लेकर चिन्तित हैं। अभी तक वन विभाग ने पानी की कोई व्यवस्था नहीं की हैं।
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